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तबला वादन के सम्राट उस्ताद जाकिर हुसैन ने दुनिया को कहा अलविदा….

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
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00 विदेश में इलाज के दौरान ली अंतिम सांस


बिलासपुर।विश्व प्रसिद्ध तबला वादक और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन हो गया।
सैन फ्रांसिस्को में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। 9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे ज़ाकिर हुसैन का जीवन संगीत के प्रति समर्पण और उनकी वैश्विक उपलब्धियों से भरा रहा है।



प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

ज़ाकिर हुसैन के पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी स्वयं भी एक महान तबला वादक थे। उनकी मां का नाम बीवी बेगम था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में सेंट माइकल स्कूल से पूरी की और आगे की पढ़ाई सेंट जेवियर्स कॉलेज से की।


संगीत का सफर

11 वर्ष की उम्र में ज़ाकिर हुसैन ने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट प्रस्तुत किया।

वर्ष 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया, जिसने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई।


विशेष योगदान

ज़ाकिर हुसैन ने तबला वादन को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लोकप्रिय बनाया। उनके संगीत ने न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयां दीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उन्हें सराहना मिली।


शिक्षा और प्रेरणा का स्रोत

उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा उनके पहले गुरु थे। उनके मार्गदर्शन में ज़ाकिर हुसैन ने संगीत के क्षेत्र में उच्चतम शिखर तक अपनी पहचान बनाई।


संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति

ज़ाकिर हुसैन का संगीत जगत में योगदान और उनकी उपलब्धियां हमेशा याद रखी जाएंगी। उनके निधन से संगीत प्रेमियों और शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति हुई है।


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