बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रेलवे द्वारा 242 पेड़ों की कटाई के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के chief justice ने नाराजगी जताई है। यह मामला उस वक्त सामने आया जब रेलवे ने अपने एक प्रोजेक्ट के तहत पेड़ों की कटाई की, जिससे पर्यावरणविद् और स्थानीय लोगों में रोष फैल गया। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के इस कदम पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए रेलवे और शासन के अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
अदालत ने रेलवे से पूछा है कि उन्होंने पेड़ काटने से पहले पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन किया या नहीं। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पर्यावरण संरक्षण सर्वोपरि है और किसी भी प्रकार के विकास कार्यों में पर्यावरण की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने रेलवे अधिकारियों को चेतावनी दी है कि आगे से ऐसी किसी भी कार्रवाई के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा।इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि पेड़ काटने से जुड़े मामलों में प्रशासन और जिम्मेदार विभाग और भी अधिक सतर्कता बरतेंगे, ताकि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायता मिल सके। मालूम हो कि। रेलवे ने वंदे भारत ट्रेन के रखरखाव के लिए नया डिपो बनाने की योजना के अंतर्गत यह पेड़ काटे, जबकि इसके लिए वन विभाग से आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी। रेलवे ने मई में अनुमति के लिए आवेदन किया था, लेकिन बिना अनुमति के ही 267 पेड़ काट डाले।मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार और रेलवे से विस्तृत जवाब मांगते हुए पूछा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी क्या प्रतिबद्धता है। कोर्ट ने रेलवे और संबंधित अधिकारियों से इस पर शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।