बिलासपुर। सिम्स चिकित्सालय बिलासपुर में दीपावली पर्व के दृष्टिगत आम जनों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में कोई परेशानी ना हो इसके लिये पर्व के दिनों के लिये अतिरिक्त 11 ट्रायेज वार्ड में एवं 06 बेड बर्न वार्ड में इस प्रकार कुल अतिरिक्त 17 बेड की व्यवस्था की गई है। दीपावली पर्व के अवसर सभी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सको की विशेष ड्यूटी लगाई गई है एवं जिसमें रोस्टर के अनुसार सिम्स विकित्सालय 24 घंटे आकस्मिक परिस्थिति में मरीजों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिये उपलब्ध रहेंगे। दीपावली पर्व पर त्वरित चिकित्सा सुविधा की जानकारी प्राप्त करने के सिम्स चिकित्सालय के आपात कालीन चिकित्सा विभाग में विशेष रूप से दूरभाष कमांक 07752-222301 नंबर जो कि 24 घंटे सक्रिय रहेगा, जिसमें आवश्यक जानकारी कभी भी संपर्क कर प्राप्त की जा सकती है।
इस संबंध में सिम्स चिकित्सालय के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा० नीरज शिंदे, नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा० सुचिता सिंह एवं टी०बी० चेस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डा० पुनीत भारद्वाज ने दीपावली के अवसर पर जलने की घटनाओं पर तत्कालिक बचाव के उपायों पर विस्तृत जानकारी प्रदाय करते हुये बताया कि-
1- पटाखों इत्यादि से जलने पर तत्काल उसे पानी से भिगोकर 20 से 30 मिनट तक रखा जाना चाहिये।
2- जलने पर जले हुये स्थान पर फफोले पड़ जाते है, जिन्हें फोडना नहीं चाहिये। फफोले को फोड़ने पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
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जलने की घटना होने पर जले हुये स्थान से तत्काल कपड़े, गहने डायफर इत्यादि हटा देना चाहिये। जलने की घटना होने पर तत्काल निकटतक चिकित्सालय में पहुँचकर चिकित्सक से उपचार कराना चाहिये।
5- आतिशबाजी से आँखों की पुतली फट सकती है, एवं रासायनिक तपीय या जलन हो सकती है एवं रेटिना अलग होने की आशंका बनी रहती है, अतः आँखो को हाथों से मलना नहीं चाहिये एवं स्वच्छ जल से आँखों को धो देना चाहिये।
6- आँखों में कोई नुकीली चीज फंस गई हो तो उसे निकालने का प्रयास नहीं करते हुये तत्काल नेत्र रोग चिकित्सक से संपर्क कर चिकित्सा सुविधा प्राप्त करना चाहिये।
7- आखों के जलने पर आँखों में स्थायी दृष्टिहीनता की आशंका प्रबल होती है, अतः तत्काल चिकित्सक से संपर्क कर आँखों का उपचार कराना चाहिये।
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पटाखों के धुँये में सल्फर जिंक कॉपर और सोडियम जैसे केमिकल हवा में फैल जाते हैं, और सॉस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे सॉस लेने तकलीफ एवं सीने में जलन इत्यादि हो सकता है, जो कि अस्थमा के मरीजों एवं सामान्य मरीजों के शरीर में संक्रमण कर फैफड़े पर घातक असर डाल सकता है। अतः तत्काल चिकित्सालय में जाकर उपचार कराया जाना चाहिये।पटाखे को यथासंभव खुले स्थान पर ही जलाना चाहिये ताकि उसके धुयें एवं अन्य रासायनिक घातक पदाथों का मानव शरीर में संक्रमण कम से कम हो।पटाखें जलाते समय चश्में एवं मास्क का उपयोग किया जाना चाहिये।