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स्वास्थ्य मंत्री जी जरा ध्यान से सुनिए…. बीमार है आपका क्षेत्र, नहीं हो रहा इलाज, कांवड़ और खाट पर ले जा रहे हैं मरीज

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
8 Min Read
मरीज को खाट पर ले जाते हुए।

00 छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली: दो घटनाओं ने उजागर की भयावह स्थिति

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की दयनीय स्थिति एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में मनेंद्रगढ़ और सरगुजा जिलों में सामने आई दो घटनाओं ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है। जहां एक ओर मरीजों को एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण खाट पर लिटाकर अस्पताल ले जाना पड़ा, वहीं दूसरी ओर गर्भवती महिलाओं को पैदल ही अस्पताल पहुंचाने की मजबूरी सामने आई है। दोनों घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसके बाद सरकार और प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं।

पहली घटना: मनेंद्रगढ़ में घायल महिला को खाट पर अस्पताल ले जाया गया

मनेंद्रगढ़ विधानसभा के छिपछिपी गांव की रहने वाली रोहिणी प्रसाद का पैर शनिवार को बैलों की लड़ाई के दौरान टूट गया था। परिजनों ने घायल महिला के इलाज के लिए 108 एंबुलेंस सेवा से संपर्क किया, लेकिन उन्हें बताया गया कि एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है। मजबूरन परिजनों ने रोहिणी को खाट पर लिटाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मनेंद्रगढ़ तक का सफर तय किया।

हालांकि, अस्पताल पहुंचने के बावजूद महिला को 16 घंटे तक उचित इलाज नहीं मिला। एक्स-रे जैसे बुनियादी परीक्षण भी नहीं हो पाए। इस घटना ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर किया है, बल्कि प्रशासन की लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

दूसरी घटना: सरगुजा में गर्भवती महिला को कावड़ पर लाद पैदल अस्पताल पहुंचाया

सरगुजा जिले के लखनपुर क्षेत्र के कुर्मेन गांव में एक गर्भवती महिला बिनी मझवार को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन खराब सड़क और पहाड़ी रास्ते के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। नतीजतन, ग्रामीणों ने महिला को कांवर में लिटाकर 7 किलोमीटर का पैदल सफर तय किया। इसके बाद ही एंबुलेंस तक पहुंच पाई और महिला को कुन्नी अस्पताल ले जाया गया।

अस्पताल पहुंचने के बाद महिला ने बच्चे को जन्म दिया। सौभाग्य से मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं, लेकिन यह घटना इस बात की गवाही देती है कि दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं किस कदर बदहाल हैं।

कांग्रेस के पूर्व विधायक का सरकार पर हमला

इन घटनाओं को लेकर कांग्रेस के पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा,

> “जब मंत्री के गृह क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की यह स्थिति है, तो अन्य इलाकों में हालात का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। सरकार की यह विफलता जनता के जीवन से खिलवाड़ है।”

उन्होंने सरकार से तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की और स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार की आवश्यकता बताई।

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली

⬛ एंबुलेंस सेवाओं की कमी:
ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस की कमी और दुर्गम क्षेत्रों तक उनकी पहुंच न होना सबसे बड़ी समस्या है।

⬛ सड़क अवसंरचना की कमी:
लखनपुर और अन्य दुर्गम क्षेत्रों में सड़कें न होने की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच पाना मुश्किल है। वन क्षेत्र और प्रशासनिक उदासीनता के कारण कई गांव आज भी सड़क विहीन हैं।

⬛ अस्पतालों की बदहाली:
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं और चिकित्सकों की कमी आम समस्या है।

⬛ दूरस्थ क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र:
ग्रामीण और वन क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या कम है और जो हैं, वहां सुविधाएं अपर्याप्त हैं।

प्रशासन की सफाई और आगे की योजनाएं

लखनपुर के सीईओ वेद प्रकाश पांडेय ने कहा कि तिरकेला से कुर्मेन का रास्ता वनमार्ग होने के कारण सड़क निर्माण नहीं हो पा रहा है। वहीं, लुंड्रा के विधायक प्रबोध मिंज ने बताया कि कई गांवों में सड़क निर्माण के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं और जल्द ही इन्हें मंजूरी मिलेगी।

जनता की तकलीफें बढ़ रही

मनेंद्रगढ़ और सरगुजा की ये घटनाएं राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करती हैं। प्रशासन को चाहिए कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की ओर विशेष ध्यान दे और दुर्गम क्षेत्रों में एंबुलेंस तथा सड़क सुविधाओं को प्राथमिकता दे। वरना ऐसी घटनाएं लगातार जनता की तकलीफें बढ़ाती रहेंगी।

कावड़ पर गर्भवती महिला को ले जाते ग्रामीण।

एंबुलेंस में ऑक्सीजन नहीं था, प्रसूता और दो नवजात शिशुओं के चली गई थी जान

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवा अभी भी वेंटिलेटर पर है। इसका ताजा उदाहरण फिर  सामने आया है  जिसमें स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोरबा जिले के के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करतला में एक महिला कांति रतिया ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों बच्चे और उनकी माँ की अस्पताल में तबीयत बिगड़ गई।। जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल रेफर कर दिया था, लेकिन न तो सही समय पर इलाज मिल सका और न ही उचित देखभाल। सूत्रों के अनुसार एंबुलेंस में प्रसूता और बच्चों को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पाया जिसके कारण तीनों ने दम तोड़ दिया। परिजन का आरोप है कि सरकारी एंबुलेंस में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी।इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रति कई सवाल उठने लगे हैं। परिजनों का कहना है कि अस्पताल में न तो पर्याप्त संसाधन थे, न ही डॉक्टरों की सही तैनाती थी, जिससे यह गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई। इस घटना ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य ढांचे की खामियों को उजागर किया है। कई लोग इस घटना को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि क्या राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं?स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जच्चा-बच्चा को समय रहते अस्पताल में ही सही इलाज मिलता, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी। यह घटना प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाती है, जो पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं।विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। यहाँ पर पर्याप्त डॉक्टरों और संसाधनों की कमी है, जो कि ऐसी घटनाओं को जन्म देती है। जच्चा-बच्चा की मृत्यु के इस मामले में जिम्मेदा के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।इसी बीच, महिला की मृत्यु और बच्चों की असमय मौत के बाद स्थानीय लोगों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने सरकार से प्रदेश के अस्पतालों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की मांग की है।

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