00 छात्र-छात्राओं को किया गया जागरूक
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स), बिलासपुर में एम.बी.बी.एस. पाठ्यक्रम में प्रवेशित सीनियर बैच 2023 और जूनियर बैच 2024 के छात्रों के लिए “एंटी-रैगिंग सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम” और “मेंटोर-मेंटी परिचय” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 28 नवंबर 2024 को सिम्स ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमनेश मूर्ति ने छात्रों को रैगिंग के खतरों और इससे होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि रैगिंग न केवल एक गंभीर अपराध है बल्कि यह शैक्षणिक माहौल को भी दूषित करती है। छात्रों को निर्देश दिया गया कि किसी भी प्रकार की रैगिंग या उत्पीड़न की घटना सामने आने पर वे तुरंत संस्थान के मेंटर या प्रशासन को सूचित करें।
मेंटोर-मेंटी कार्यक्रम:
मेंटोर-मेंटी कार्यक्रम के अंतर्गत जूनियर और सीनियर छात्रों के बीच आपसी संवाद स्थापित करने पर जोर दिया गया। जूनियर छात्रों को उनके सीनियर मेंटर्स से परिचित कराया गया, जिनका उद्देश्य नए छात्रों को संस्थान के माहौल में घुलने-मिलने में मदद करना है।
कार्यक्रम में डॉ. लखन सिंह, डॉ. सागरिका प्रधान, डॉ. सरीन गुप्ता सहित कई वरिष्ठ चिकित्सक और फैकल्टी सदस्य उपस्थित रहे। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सीनियर और जूनियर छात्रों के बीच स्वस्थ संबंध होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी प्रकार की रैगिंग न हो।
रैगिंग की बढ़ती घटनाएं, चिंता का विषय
देशभर में रैगिंग की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जो शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई हैं। खासकर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी रैगिंग की घटनाओं ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। हाल ही में, रायपुर के एक प्रमुख मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का मामला सामने आया था, जहां जूनियर छात्रों को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
रैगिंग के दुष्प्रभावों को देखते हुए सरकार और शैक्षणिक संस्थान सख्त कदम उठा रहे हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने रैगिंग के खिलाफ कठोर कानून बनाए हैं। इसके बावजूद, कई संस्थानों में यह समस्या बनी हुई है।
रैगिंग के खिलाफ क्या कर सकते हैं छात्र?
1. रिपोर्ट करें: किसी भी रैगिंग की घटना को न छुपाएं। तुरंत मेंटर या प्रशासन को सूचित करें।
2. संवेदनशील बनें: सीनियर छात्रों को यह समझना चाहिए कि जूनियर छात्र भी उनके भाई-बहन जैसे हैं।
3. सहयोग बढ़ाएं: संस्थानों में सकारात्मक माहौल बनाएं।
छत्तीसगढ़ सरकार और शैक्षणिक संस्थानों की यह जिम्मेदारी है कि वे छात्रों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करें। सिम्स जैसे संस्थान इस दिशा में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से एक मिसाल कायम कर रहे हैं।
रैगिंग को खत्म करने की दिशा में यह अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है और छात्रों को यह समझना होगा कि एक सकारात्मक माहौल ही उनकी सफलता की कुंजी है।
किसने क्या दी जानकारी
अधिष्ठाता, सिम्स, बिलासपुर। उन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और छात्रों को रैगिंग के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया।
चिकित्सीय अधीक्षक। उन्होंने छात्रों को संस्थान में उपलब्ध सुविधाओं और नियमों के बारे में जानकारी दी
छात्र शाखा प्रभारी। उन्होंने सीनियर और जूनियर छात्रों के बीच आपसी संवाद और मेंटर-मेंटी सिस्टम की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी। उन्होंने छात्रों को शैक्षणिक अनुशासन और सह-अस्तित्व की भावना विकसित करने की सलाह दी।प्रभारी विभागाध्यक्ष, फिजियोलॉजी। उन्होंने रैगिंग रोकने के लिए छात्रों को आत्म-नियंत्रण और परस्पर सम्मान की भावना विकसित करने के लिए प्रेरित किया।विभागाध्यक्ष, फार्माकोलॉजी। उन्होंने छात्रों को रैगिंग के कानूनी दायरे और इससे जुड़ी सख्त सज़ाओं की जानकारी दी।विभागाध्यक्ष, बायोकेमिस्ट्री। उन्होंने छात्रों को शिक्षा के मूल उद्देश्य और स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण के महत्व पर बल दिया।सहायक प्रभारी अधिकारी, छात्र शाखा। उन्होंने छात्रों को मेंटर से जुड़ने और किसी भी समस्या को साझा करने की सलाह दी।
वॉर्डन, बालक छात्रावास। उन्होंने छात्रों को अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना विकसित करने के लिए प्रेरित किया।
सहायक वॉर्डन, बालिका छात्रावास। उन्होंने छात्राओं को संस्थान में सुरक्षा और समर्थन की जानकारी दी।
इन सभी वरिष्ठ अधिकारियों और शिक्षकों के साथ-साथ, बड़ी संख्या में सीनियर और जूनियर छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहे। सभी छात्रों ने कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लिया और सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम के दौरान पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देकर अपनी जागरूकता का परिचय दिया।कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने अपने-अपने मेंटर्स से मुलाकात की और भविष्य में किसी भी समस्या के समाधान के लिए मेंटर से संपर्क करने का संकल्प लिया।
अधिष्ठाता, सिम्स, बिलासपुर। उन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और छात्रों को रैगिंग के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया।