बिलासपुर । छत्तीसगढ़ सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हाल ही में डॉ. के.के. सहारे डीन छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) बिलासपुर के निलंबन को रद्द कर उन्हें पुनः बहाल कर दिया है। यह आदेश उच्च न्यायालय बिलासपुर के निर्देशों के अनुपालन में जारी किया गया है। उनकी पदस्थापना कोरबा मेडिकल कॉलेज में डीन के पद पर की गई है
मामला 23 सितंबर 2024 को शुरू हुआ जब डॉ. सहारे को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 9(1) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। निलंबन के पीछे प्रशासनिक अनियमितताओं और अन्य आरोपों का हवाला दिया गया था। निलंबन आदेश के खिलाफ डॉ. सहारे ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने 21 अक्टूबर 2024 को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए डॉ. सहारे को राहत दी और सिम्स बिलासपुर में उनके निलंबन पर रोक लगा दी।
सरकार के ताजा आदेश में स्पष्ट किया गया है कि न्यायालय के आदेश के मद्देनजर डॉ. सहारे को तत्काल प्रभाव से सिम्स में बहाल किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें आगामी आदेश तक सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय कोरबा, छत्तीसगढ़ के अधीक्षक पद पर पदस्थ किया गया है।
इस घटनाक्रम ने स्वास्थ्य प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दे को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। यह मामला स्वास्थ्य विभाग में प्रशासनिक प्रक्रिया और न्यायिक हस्तक्षेप के संतुलन का एक उदाहरण बन गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने साफ किया है कि निलंबन और बहाली की प्रक्रिया पूरी तरह न्यायिक निर्देशों के अनुरूप की गई है। आगे की सुनवाई और संभावित जांच की स्थिति में स्वास्थ्य विभाग के अन्य उच्चाधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ सकते हैं।
हाई कोर्ट से खारिज हो गई थी याचिका हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) के डीन रहे डॉ. केके सहारे को दिए गए स्टे को हटा लिया है। इस के साथ ही सहारे की याचिका खारिज कर दी गई है। दरअसल स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बिलासपुर प्रवास के दौरान सिम्स में बैठक ली थी। इस दौरान बैठक में अनुपस्थित रहने पर पर डीन डॉ.केके सहारे को निलंबित करने का आदेश दिया था, जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस पर स्टे दे दिया था। इस स्टे के खिलाफ शासन ने कोर्ट में अपील की। शासन की ओर से कहा गया कि पूरे मामले में अभी जांच चल रही है। कोई नया अपडेट भी नहीं है इसलिए स्टे जारी रखना सही नहीं होगा। हाईकोर्ट ने शासन की बात को स्वीकार कर दिया है।
गौरतलब है कि अपने निलंबन आदेश के खिलाफ डॉ.केके सहारे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया था कि 22 सितंबर 2024 को उन्होंने चिकित्सा शिक्षा आयुक्त के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। इसमें अपने भाई के निधन होने के कारण तीन दिन की छुट्टी ली थी। इसी दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ. श्याम बिहारी जायसवाल ने सिम्स में शासी निकाय की बैठक बुलाई थी, तब उन्होंने बैठक में अनुपस्थित रहने की जानकारी पहले ही दे दी थी। याचिकाकर्ता डॉ. सहारे के एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि भाई के निधन की जानकारी देने के बाद भी दुर्भावना के चलते उन्हें निलंबित किया गया है। शासन नियमों के अनुसार किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को अनुपस्थित होने पर पर्याप्त कारण के अभाव में अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान है लेकिन, उन्होंने पहले ही छुट्टी पर जाने का कारण बता दिया था। इसके बावजूद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था।