00 बिलासपुर संभाग के कोरबा जिले का मामला
00 प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मृत्यु, स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठे
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवा अभी भी वेंटिलेटर पर है। इसका ताजा उदाहरण फिर सामने आया है जिसमें स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोरबा जिले के के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करतला में एक महिला कांति रतिया ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों बच्चे और उनकी माँ की अस्पताल में तबीयत बिगड़ गई।। जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल रेफर कर दिया था, लेकिन न तो सही समय पर इलाज मिल सका और न ही उचित देखभाल। सूत्रों के अनुसार एंबुलेंस में प्रसूता और बच्चों को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पाया जिसके कारण तीनों ने दम तोड़ दिया। परिजन का आरोप है कि सरकारी एंबुलेंस में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी।इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रति कई सवाल उठने लगे हैं। परिजनों का कहना है कि अस्पताल में न तो पर्याप्त संसाधन थे, न ही डॉक्टरों की सही तैनाती थी, जिससे यह गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई। इस घटना ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य ढांचे की खामियों को उजागर किया है। कई लोग इस घटना को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि क्या राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं?स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जच्चा-बच्चा को समय रहते अस्पताल में ही सही इलाज मिलता, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी। यह घटना प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाती है, जो पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं।विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। यहाँ पर पर्याप्त डॉक्टरों और संसाधनों की कमी है, जो कि ऐसी घटनाओं को जन्म देती है। जच्चा-बच्चा की मृत्यु के इस मामले में जिम्मेदा के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।इसी बीच, महिला की मृत्यु और बच्चों की असमय मौत के बाद स्थानीय लोगों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने सरकार से प्रदेश के अस्पतालों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की मांग की है।
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