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हाई कोर्ट ने कहा जनप्रतिनिधियों को बर्खास्त करने से उनकी छवि होती है धूमिल, मुंगेली नगर पालिका अध्यक्ष को हटाने का मामला

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
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बिलासपुर| छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मुंगेली नगर पालिका के अध्यक्ष की बर्खास्तगी के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अध्यक्ष की बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मामूली अनियमितताओं के लिए राज्य सरकार को ऐसी शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
बता दें, मुंगेली नगर पालिका परिषद में संतुलाल सोनकर साल 2019-20 में अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। इस बीच महज एक साल के कार्यकाल के बाद नाली निर्माण के भुगतान के संबंध में अनियमितता में लिप्त होने का आरोप लगाकर कांग्रेस की भूपेश सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था।
अपनी बर्खास्तगी आदेश को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका में बताया गया कि राज्य शासन ने अपने पद और अधिकारों का गलत प्रयोग करते हुए राजनीतिक दुर्भावना के चलते याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की है। जबकि शासन के पास उसे हटाने के लिए कोई मजबूत और ठोस कारण नहीं है। जिन आरोपों के चलते उन्हें हटाया गया है उसके लिए वो प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार भी नहीं है।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने न सिर्फ बर्खास्तगी के आदेश को निरस्त किया है बल्कि शासन को इस तरह की मामूली अनियमितता के लिए ऐसी शक्ति का प्रयोग न करने कहा है। साथ ही यह भी कहा कि इस तरह से जनप्रतिनिधियों को बर्खास्त करने से उनकी छवि  धूमिल होती है। कोर्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ म्यूनिस्पल्टी एक्ट 1961 की धारा 41 ए के तहत याचिकाकर्ता को नगर पालिका अध्यक्ष पद से हटाना गलत है।

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