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SECL मुख्यालय का अर्धनग्न घेराव: भूविस्थापितों ने उठाई न्याय की मांग

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
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बिलासपुर। कोरबा जिले की दीपका, गेवरा और कुसमुंडा कोयला खदानों से विस्थापित हजारों किसानों और स्थानीय निवासियों ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) मुख्यालय पर अर्धनग्न प्रदर्शन कर अपना आक्रोश प्रकट किया। ये प्रदर्शनकारी लंबे समय से रोजगार, मुआवजा और अन्य अधिकारों की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। इस बार, SECL प्रबंधन की अनदेखी से नाराज भूविस्थापितों ने बिलासपुर स्थित मुख्यालय पर प्रदर्शन का रुख किया, जिसमें उन्होंने जमकर नारेबाजी की और अपने अधिकारों की आवाज बुलंद की।

भूविस्थापितों की प्रमुख मांगें

1. रोजगार का वादा पूरा किया जाए:
विस्थापन के दौरान किसानों और स्थानीय निवासियों से जमीन के बदले रोजगार का वादा किया गया था। लेकिन वर्षों बाद भी यह वादा पूरा नहीं हुआ।

2. फर्जी नियुक्तियों की जांच:
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बाहरी लोगों को खदानों में नौकरियां दी जा रही हैं। ये नियुक्तियां नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करती हैं।

3. भूविस्थापितों की उपेक्षा:
खदान क्षेत्र में जमीन देने वाले कई किसान अब भी बेरोजगार हैं। इसके अलावा, विस्थापन के कारण उनकी आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, लेकिन उनकी समस्याओं पर प्रबंधन कोई ध्यान नहीं दे रहा।

यह है नाराजगी की वजह

भूविस्थापितों ने स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से कई बार बातचीत की और प्रदर्शन किए। लेकिन बार-बार की अनदेखी और समाधान न मिलने के कारण उन्हें मुख्यालय आकर प्रदर्शन करना पड़ा। अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करने का उद्देश्य प्रबंधन को उनकी गंभीर स्थिति और न्याय की मांग की ओर ध्यान दिलाना था। प्रदर्शन के दौरान किसान सभा के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे बार-बार अपील करने के बावजूद ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

फर्जी नियुक्तियों का आरोप और सूची का खुलासा

प्रदर्शनकारियों का दावा है कि चिरमिरी, गेवरा और कुसमुंडा खदानों में बाहरी लोगों को नियमों के विरुद्ध नौकरियां दी गई हैं। उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए की गई इन नियुक्तियों की सूची भी प्रबंधन को सौंपी। उनका कहना है कि जब असली भूविस्थापित रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो प्रबंधन इन बाहरी लोगों को प्राथमिकता दे रहा है।

क्षेत्रीय प्रदर्शन से लेकर मुख्यालय घेराव तक

भूविस्थापितों ने अपनी समस्याओं को हल करने के लिए पहले खदान क्षेत्र में प्रदर्शन किए। स्थानीय अधिकारियों से चर्चा भी की गई, लेकिन उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया। इसके बाद मजबूर होकर प्रदर्शनकारियों ने SECL मुख्यालय पर पहुंचकर प्रदर्शन करने का फैसला लिया।

क्या कहा प्रदर्शनकारियों ने

प्रदर्शन में शामिल एक भूविस्थापित किसान ने कहा,
“हमने अपनी जमीन इस उम्मीद में दी थी कि हमारे परिवार को सुरक्षित भविष्य मिलेगा। लेकिन आज हम बेरोजगार हैं और हमारी आजीविका छिन गई है। फर्जी दस्तावेजों पर नौकरियां बांटी जा रही हैं, जबकि हमारे परिवार के लोग संघर्ष कर रहे हैं।”

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने बताया,
“स्थानीय स्तर पर कई बार बातचीत हुई, लेकिन हमें केवल आश्वासन मिला। कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरन हमें मुख्यालय तक आना पड़ा।”

प्रबंधन ने साधी चुप्पी

SECL प्रबंधन ने अभी तक प्रदर्शनकारियों की मांगों पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह चुप्पी भूविस्थापितों की नाराजगी को और बढ़ा रही है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को जल्द नहीं माना गया, तो आंदोलन और उग्र होगा।यह प्रदर्शन केवल भूविस्थापितों की समस्याओं का उदाहरण नहीं है, बल्कि यह बड़ी विकास परियोजनाओं के सामाजिक प्रभाव और उनके वादों की विफलता को भी उजागर करता है। जमीन देने वाले किसानों को रोजगार और मुआवजा सुनिश्चित करना प्रबंधन की जिम्मेदारी है।

प्रबंधन के लिए चेतावनी
यह घटना प्रशासन और प्रबंधन के लिए एक चेतावनी है कि स्थानीय निवासियों के अधिकारों और वादों को नजरअंदाज करना लंबे समय तक संभव नहीं है। यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आंदोलन और बड़े स्तर पर उभर सकता है। भूविस्थापितों की समस्याओं का समाधान न्यायसंगत और संवेदनशील तरीके से किया जाना चाहिए।

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