बिलासपुर। जिले के बिल्हा विकासखंड स्थित सुदूर जंगल क्षेत्र की प्राथमिक शाला डीपरापारा बिटकुली में 20 छात्र-छात्राओं को जुता और मोजा वितरित किए गए। यह उपहार रामदत्त गौरहा, सेवानिवृत्त सहायक कार्यक्रम समन्वयक, समग्र शिक्षा, बिलासपुर द्वारा बच्चों को प्रदान किया गया। इस पहल का उद्देश्य बच्चों को नियमित रूप से शाला आने के लिए प्रेरित करना और उनकी शिक्षा को प्रोत्साहित करना है।
यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है, जहां अधिकतर धनुहार जाति के लोग निवास करते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर इस क्षेत्र के बच्चों के लिए जूता-मोजा जैसे छोटे-छोटे संसाधन भी बड़े सहारे के रूप में सामने आते हैं। बच्चों की जरूरतों को समझते हुए रामदत्त गौरहा ने यह सराहनीय पहल की। इस अवसर पर प्रधान पाठक जयसिंह, शिक्षक बसंत दास और शाला के अन्य शिक्षक साथी भी उपस्थित रहे।
जूता-मोजा प्राप्त करने के बाद बच्चों की खुशी देखते ही बन रही थी। बच्चों ने इसे अपने लिए एक अनमोल तोहफा बताया और विद्यालय में नियमित उपस्थिति बनाए रखने का संकल्प लिया। प्रधान पाठक जयसिंह ने इस योगदान की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास न केवल बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि उनके अभिभावकों को भी जागरूक करते हैं।
इस अवसर पर रामदत्त गौरहा ने बच्चों को शिक्षा का महत्व समझाया और उन्हें नियमित रूप से विद्यालय आने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “शिक्षा ही वह माध्यम है, जो बच्चों को एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जा सकती है। सुदूर क्षेत्र के बच्चों को सुविधाएं प्रदान करना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।”
शिक्षकों ने भी इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे प्रयासों से न केवल बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों में सुधार होगा, बल्कि उनकी उपस्थिति भी बढ़ेगी। जूता-मोजा वितरण कार्यक्रम ने बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने के साथ-साथ उनके माता-पिता और शिक्षकों के दिलों को भी छू लिया।