बिलासपुर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत कार्यरत संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों के निराकरण को लेकर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया। प्रदेश के 33 जिलों में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कर्मचारियों ने सरकार पर उनकी उपेक्षा का आरोप लगाया। इस दौरान बिलासपुर जिले में भी कलेक्टर कार्यालय के बाहर एनएचएम कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शन का नेतृत्व एनएचएम संघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्याम मोहन दुबे के प्रतिनिधित्व में किया गया। संघ ने सरकार पर आरोप लगाया कि कोरोनाकाल में अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने वाले कोरोना योद्धाओं को अब सरकार ने पूरी तरह से भुला दिया है।
संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की प्रमुख मांगें
1. 27% वेतन वृद्धि लागू करना: कर्मचारियों ने कहा कि सरकार ने 27% वेतन वृद्धि की घोषणा की थी, लेकिन एक वर्ष बाद भी इसे लागू नहीं किया गया।
2. नियमितीकरण: संविदा कर्मचारियों ने अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग की है, ताकि वे नौकरी की असुरक्षा से मुक्त हो सकें।
3. कोरोना योद्धाओं का सम्मान: कर्मचारियों ने कहा कि महामारी के दौरान उनके द्वारा किए गए कार्यों को सराहा गया था, लेकिन अब उनके हितों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।
प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्याम मोहन दुबे ने कहा, “सरकार की सुशासन की बातें केवल कागजों तक सीमित हैं। संविदा कर्मचारियों को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। हमारी मांगें पूरी न होने पर आंदोलन को तेज किया जाएगा।”
ज्ञापन सौंपने वालों में अंशुमान तिवारी, अजय दुबे, अक्षय तिवारी, दीपक यादव, हरीश पटेल, राजकुमार यादव और ऋतुराज सहित कई कर्मचारी शामिल रहे।
प्रदेश भर में आंदोलन की चेतावनी
ज्ञापन के बाद कर्मचारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो एनएचएम संघ प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगा।
संवेदनशील मुद्दा:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों का यह आंदोलन सरकार के लिए चुनौती बन सकता है। ये कर्मचारी स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ माने जाते हैं और उनकी नाराजगी से स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।