00 बिलासपुर: बहतराई स्टेडियम में तैनात जवानों के भोजन में लापरवाही, फॉरेस्ट गार्ड भर्ती प्रक्रिया पर सवाल
बिलासपुर।छत्तीसगढ़ में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती प्रक्रिया इस बार चर्चा में गलत कारणों से आ गई है। बिलासपुर के बेहतराई स्टेडियम में ड्यूटी पर तैनात जवानों के खाने में कीड़े पाए जाने की घटना ने प्रशासन और भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना के बाद विभाग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर भी गंभीर आरोप लग रहे हैं। डीएफओ सत्यदेव शर्मा का कहना है कि केवल एक जवान के भोजन में जिंदा कीड़ा मिला है, जो कहीं से भी उड़ कर आ सकता है। 10 दिन से भोजन चल रहा है इसमें अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है।
500से अधिक पदों पर फॉरेस्ट गार्ड भर्ती
छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट विभाग की ओर से इस बार फॉरेस्ट गार्ड के 500 से अधिक पदों पर भर्ती निकाली गई है। हजारों युवा इस परीक्षा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं, जो कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में आयोजित की जा रही है। इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया कुछ महीने पहले शुरू हुई थी और अब लिखित परीक्षा तथा फिजिकल टेस्ट का दौर चल रहा है। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया के दौरान जवानों की ड्यूटी बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।
जवानों को परोसे गए खराब भोजन से मचा हड़कंप
बिलासपुर के स्टेडियम में फिजिकल टेस्ट के दौरान तैनात जवानों ने शिकायत की है कि उन्हें परोसे गए भोजन में कीड़े मिले। जवानों का आरोप है कि भोजन में इस्तेमाल की गई सामग्री बेहद खराब गुणवत्ता की थी। जवानों ने इस घटना के विरोध में खाना खाने से मना कर दिया।
जवानों का कहना है कि ड्यूटी के दौरान उन्हें साफ और पोषक भोजन की जरूरत होती है, ताकि वे अपना काम बेहतर तरीके से कर सकें। लेकिन इस तरह की घटनाएं उनकी कार्यक्षमता और स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं।
अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत का शक
सूत्रों की मानें तो मामला केवल खराब भोजन तक सीमित नहीं है। जवानों का आरोप है कि फॉरेस्ट विभाग के कुछ बड़े अधिकारियों ने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं की हैं। आरोप है कि अधिकारियों ने खाद्य आपूर्ति का टेंडर ऐसे ठेकेदारों को दिया, जो गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं।
यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह विभागीय भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला हो सकता है। ऐसी अनियमितताएं न केवल विभाग की छवि को धूमिल करती हैं, बल्कि जवानों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को भी खतरे में डालती हैं।
जवानों ने की निष्पक्ष जांच की मांग
इस घटना के बाद जवानों और अन्य स्टाफ में भारी नाराजगी है। उन्होंने प्रशासन से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
जवानों का यह भी कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में हजारों अभ्यर्थी शामिल हो रहे हैं, और वे चाहते हैं कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ पूरी हो। ऐसे में इस तरह की लापरवाहियों से पूरे सिस्टम पर सवाल उठते हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
अब तक प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, घटना मीडिया में आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही जांच के आदेश दिए जाएंगे।
फॉरेस्ट विभाग की ओर से यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि तैनात जवानों को बेहतर सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण भोजन मिले। जवानों की ड्यूटी के दौरान उनका स्वास्थ्य और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
भर्ती प्रक्रिया की साख पर सवाल
फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाले हजारों अभ्यर्थियों के लिए यह प्रक्रिया एक बड़ा अवसर है। यह भर्ती राज्य के युवाओं के लिए सरकारी नौकरी पाने का सपना पूरा करने का एक माध्यम है। लेकिन इस तरह की घटनाएं न केवल तैनात जवानों को प्रभावित करती हैं, बल्कि अभ्यर्थियों के मन में भी अविश्वास पैदा करती हैं।
हो निगरानी
इस घटना से एक महत्वपूर्ण संदेश निकलता है कि फॉरेस्ट विभाग और प्रशासन को अपनी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और निगरानी बढ़ानी होगी। ठेकेदारों की चयन प्रक्रिया में सख्ती और निगरानी सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।
जवानों की मांग जायज है, और उम्मीद की जानी चाहिए कि विभाग इस मामले को गंभीरता से लेगा और दोषियों पर उचित कार्रवाई करेगा। इसके साथ ही, आने वाले समय में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाएगा, ताकि जवानों और अभ्यर्थियों का भरोसा कायम रह सके।