00 अशोकनगर के सरस्वती स्कूल मंदिर के सामने चल रही है कार्रवाई
विलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मंगलवार की सुबह अशोक नगर स्थित तालाब पर कब्जे को लेकर जिला एवं निगम प्रशासन की बड़ी कार्रवाई शुरू हुई। इस दौरान मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद था।
तालाब की भूमि का मूल स्वरूप बहाल करें
छत्तीसगढ़—बिलासपुर के अतिरिक्त तहसील न्यायालय ने मौजा-चोंटीडीह स्थित तालाब भूमि के मामले में एक अहम आदेश जारी किया था। न्यायालय ने खसरा नंबर 07 पर स्थित 0.50 एकड़ तालाब क्षेत्र से मिट्टी हटाकर भूमि को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने का निर्देश दिया है। इस आदेश के तहत अनावेदकगण – श्री अमोलक सिंह भाटिया, गुरमीत सिंह भाटिया और गुरूशरण सिंह भाटिया – जो कि सभी दयालबंद, बिलासपुर के निवासी हैं, को भूमि को पुनः तालाब के रूप में परिवर्तित करने का निर्देश दिया गया था।
न्यायालय ने 23 अक्टूबर 2024 को यह आदेश जारी किया था, लेकिन अभी तक अनावेदकगणों ने इसका पालन नहीं किया है। उन्हें आदेश की लिखित सूचना भेजी गई थी, लेकिन उन्होंने उसे प्राप्त करने से भी मना कर दिया। इसके अतिरिक्त, आदेश की सत्य प्रति प्राप्त करने के बाद अनावेदकगणों ने 26 अक्टूबर को इस निर्णय के खिलाफ बिलासपुर अतिरिक्त कलेक्टर न्यायालय में अपील दाखिल की है।
न्यायालय ने इस मामले में आगे कोई स्थगन आदेश प्रस्तुत न होने के चलते तहसीलदार को आदेश का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। तालाब की भूमि को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने की प्रक्रिया में होने वाले खर्च की राशि अनावेदकगणों से वसूल की जाएगी।
यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि तालाब संरक्षण और जल स्रोत की सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह निर्णय महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्थानीय पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी इस आदेश का स्वागत कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
मालूम हो कि चांटीडीह पटवारी हल्का नंबर 33 तहसील व जिला बिलासपुर में स्थित भूमि को अमोलक सिंह भाटिया पिता हरवंश सिंह भाटिया, गुरमित सिंह पिता हरवंश सिंह भाटिया, गुरु शरण सिंह पिता सुरजीत सिंह के द्वारा मौजा चांटीडीह स्थित भूमि खसरा नंबर 7 तालाब के अंश भाग रकबा 0.50 ए पर मिट्टी डालकर पाट दिया गया था। इसे संज्ञान में लेकर छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 242 का उल्लंघन किए जाने पर सहिंता की धारा 253 के तहत दंडनीय अपराध होने के चलते एसडीएम बिलासपुर श्री पीयूष तिवारी ने इसके जांच के निर्देश देते हुए तहसीलदार से जांच प्रतिवेदन मंगाया। जांच प्रतिवेदन अनुसार चांटीडीह स्थित पटवारी हल्का नंबर 33 तहसील व जिला बिलासपुर स्थित भूमि खसरा नंबर 06,07 रकबा क्रमशः 0.424, एवं 1.193 हेक्टेयर अधिकार अभिलेख में तुकाराम पिता लक्ष्मण साव, साकिन जूना बिलासपुर के नाम पर दर्ज है। संशोधन पंजी वर्ष 1962–63 के सरल क्रमांक 179 के अनुसार वाजिब उल अर्ज में उपरोक्त भूमि पैठू, ताल,पानी के नीचे दर्ज होना उल्लेखित है। वर्तमान राजस्व अभिलेख में खसरा 7/2,7/3,7/4 रकबा क्रमशः 0.283,0.263,0.263 हेक्टेयर भूमि अमोलक सिंह भाटिया पिता हरवंश सिंह भाटिया, गुरमीत सिंह पिता हरवंश सिंह, गुरु शरण सिंह पिता सुरजीत सिंह के नाम पर दर्ज है। जिसे उनके द्वारा मिट्टी डालकर लगभग 0.50 एकड़ रकबे को पाटा जा चुका है। जिसके लिए इनको कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। नोटिस के जवाब में इन्होंने तालाब को पाटने से इनकार किया। उक्त प्रकरण में श्री एसडीएम पीयूष तिवारी ने तहसीलदार बिलासपुर को प्रकरण में पर्याप्त साक्ष्य तथा दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही हेतु स्पष्ट प्रतिवेदन मांगा। अतिरिक्त तहसीलदार बिलासपुर ने मौके पर जाकर तीन गवाहों का शपथपूर्वक कथन लिया। जिसमें पता चला कि यहां तालाब स्थित था जिसे मिट्टी डालकर मैदान बनाया गया हैं एवं तार फेंसिंग कर लिया गया है। मौका जांच एवं राजस्व दस्तावेजों के अनुसार खसरा नंबर 7 के कुल 4 बटांकन हुआ है। खसरा नंबर 7/1, खसरा नंबर 6 के साथ शामिल में धर्मराज पिता रेवाराम वगैरह,खसरा नंबर 7/2 (0.283 हेक्टेयर) में अमोलक सिंह भाटिया, खसरा नंबर 7/3 (0.263), में गुरमित सिंह भाटिया,खसरा नंबर 7/4 (0.263 हेक्टेयर) में गुरु शरण सिंह भाटिया के नाम पर दर्ज है। खसरा नंबर सात में तालाब स्थित है। जिसके 0.50 डिसमिल भाग पर मिट्टी डालकर पाटा गया है। जिसे मौके पर साक्षियों के द्वारा प्रमाणित भी किया गय। तालाब को पाटना प्रमाणित पाए जाने पर एसडीएम श्री पीयूष तिवारी ने उक्त कृत्य को छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 242 का उल्लंघन पाने पर संहिता की धारा 253 के तहत दंडनीय होने से अमोलक सिंह भाटिया, गुरमीत सिंह, गुरु शरण सिंह के ऊपर सहिंता की धारा 253 के प्रावधान अनुसार 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। सभी को आदेशित किया गया है कि खसरा नंबर 07 के तालाब के रखबा 0.50 एकड़ पर पार्टी के मिट्टी को सात दिनों के अंदर हटाकर वाजिब उल अर्ज में दर्ज प्रविष्टि के अनुसार पूर्व की स्थिति में मूल प्रयोजन में लाए। अन्यथा की स्थिति में खुदाई का खर्च भी संबंधितों से वसूल करने के आदेश दिए गए थे।