00 विषाक्त भोजन से मौत का दावा ,तीन लोगों को लिया गया हिरासत में
00 करंट से मारे जा रहे हैं हाथी, वन्य प्राणियों का नहीं रुक रहा शिकार
00 वन्य प्राणियों के लिए अभिशप्त बना प्रदेश
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में एक बाघ की मौत होने का मामला सामने आने से हड़कंप मच गया है। वन अधिकारियों के दावे के अनुसार, बाघ की मौत संभवतः विषाक्त भोजन के कारण हुई है। प्राथमिक जांच में संकेत मिले हैं कि इस बाघ ने हाल ही में एक भैंस का शिकार किया था, और कुछ स्थानीय लोगों ने कथित तौर पर बदला लेने के उद्देश्य से भैंस के शव में जहर मिलाया। इसके बाद बाघ के मृत पाए जाने पर वन विभाग ने तीन लोगों को हिरासत में लिया है।मृत बाघ की उम्र लगभग 7-8 साल बताई गई है और उसके शव के पास एक अधखाया भैंस का शव भी मिला है। घटनास्थल से लिए गए नमूनों को रायपुर में फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, जिससे मौत की सही वजह का पता लगाया जा सके।इस घटना से वन्यजीव संरक्षण के मुद्दों पर फिर से चिंता बढ़ गई है और वन अधिकारियों को इस तरह के मामलों की रोकथाम के लिए निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता बताई जा रही है। मालूम हो कि पिछले 20 दिनों से वन विभाग कोरिया जिले में बाघ की निगरानी का दावा कर रहा था.आज उस बाघ का शव मिला है। यही नहीं करंट से हाथियों की जान भी यहां जा रही है। वहीं कभी 43 बाघ वाले छत्तीसगढ़ में टाइगर रिजर्व में 7 बाघ बचे हैं, जिस मप्र से अलग यह राज्य बना है,वहां 780हैं।
00 बाघ संरक्षण: मौत की स्थिति में त्वरित कार्रवाई के लिएउठाए गए कदम
छत्तीसगढ़ में बाघ संरक्षण और उनके सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई गई है। हाल के समय में बाघों की मृत्यु के मामलों को देखते हुए, राज्य सरकार ने बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कई आवश्यक कदम उठाने का फैसला किया है। यहाँ उन कदमों का विवरण दिया गया है जो बाघ की मृत्यु होने की स्थिति में त्वरित कार्रवाई में शामिल किए गए हैं:
- तत्काल सूचना: बाघ की मृत्यु होने पर तुरंत वन विभाग, वन्यजीव संरक्षण सोसायटी और अन्य स्थानीय संरक्षण संगठनों को सूचित किया जाएगा ताकि समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
- क्षेत्र की सुरक्षा: बाघ की मृत्यु स्थल को सुरक्षित किया जाएगा ताकि किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ या अनधिकृत व्यक्तियों की दखलअंदाजी को रोका जा सके। खासकर जब शिकार या जहर की आशंका हो।
- मृत्यु के कारण की जांच:
मृत परीक्षण (नेक्रोप्सी): पशु चिकित्सा विशेषज्ञ बाघ के स्वास्थ्य, चोटों या जहर के संकेतों की पहचान के लिए परीक्षण करेंगे।
फॉरेंसिक जांच: जहर, गोली के निशान या अन्य संदेहास्पद कारणों की जांच के लिए फॉरेंसिक विधियों का उपयोग किया जाएगा।
- डेटा संग्रहण और दस्तावेजीकरण: बाघ की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिक जानकारी (डीएनए) जैसे डेटा इकट्ठा किए जाएंगे। यह जानकारी अनुसंधान और प्रजाति के जनसंख्या प्रबंधन में सहायक होगी।
- जागरूकता और रिपोर्टिंग: संरक्षण नेटवर्क और वैज्ञानिक समुदायों को घटना की जानकारी दी जाएगी ताकि इसे संरक्षण आंकड़ों में दर्ज किया जा सके और बाघ सुरक्षा नीतियों को बेहतर बनाया जा सके।
- सुरक्षा उपायों की समीक्षा: अगर मृत्यु का कारण शिकार या मानव-वन्यजीव संघर्ष है, तो सुरक्षा और गश्त को मजबूत करने के उपाय किए जाएंगे। इसके अंतर्गत समुदाय की भागीदारी, कैमरा ट्रैप जैसे तकनीकी समाधान भी शामिल होंगे।
- संरक्षण कदम: मृत्यु के परिणामों का उपयोग संरक्षण रणनीतियों को सुधारने में किया जाएगा। इसके तहत आवास पुनर्स्थापन, सख्त शिकार विरोधी नियम, और समुदाय शिक्षा कार्यक्रम शामिल होंगे।
- स्थानीय अधिकारियों का प्रशिक्षण: स्थानीय अधिकारियों को समय-समय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिसमें वन्यजीव प्रबंधन विशेषज्ञ और सलाहकार शामिल होंगे।
- वन्यजीव पशु चिकित्सकों की नियुक्ति: छत्तीसगढ़ में बाघों की देखभाल के लिए कम से कम 2-3 वन्यजीव पशु चिकित्सकों की तत्काल आवश्यकता है, जो राज्य की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छवि को सुधारने में सहायक होंगे।
- निरीक्षण टीम का गठन: स्थानीय वन अधिकारियों का समर्थन करने के लिए 10 सदस्यीय निगरानी टीम का गठन किया जाएगा, जो बाघों की निगरानी और सुरक्षा में सहायक होगी।
राज्य सरकार का मानना है कि इन उपायों को लागू करके बाघों की मृत्यु के मामलों को कम किया जा सकेगा और उनकी संरक्षण में वृद्धि होगी।