बिलासपुर।सिम्स के रेडियोलॉजी विभाग के लेक्चर हॉल में आज चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए एक विशेष एजुकेशन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कर्मचारियों के कौशल एवं जागरूकता का विकास करना था।




कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. रक्षित जोगी ने प्रिक इंजूरी (सुई या अन्य तेज औजारों से लगने वाली चोट) के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने समझाया कि मरीजों के इलाज के दौरान उपयोग किए गए सीरिंज और नीडल्स का सही तरीके से निस्तारण कैसे किया जाना चाहिए, और उपयोग के बाद इन्हें किस रंग के डस्टबिन में डालना अनिवार्य है। साथ ही उन्होंने बताया कि यदि किसी कर्मचारी को कार्य के दौरान नीडल से चोट लगती है तो उसे तत्काल आपातकालीन विभाग की ओपीडी में पंजीयन कराकर ‘प्रिक इंजूरी रजिस्टर’ में एंट्री करनी चाहिए और आवश्यक औषधियां लेकर अगले दिन आर्ट सेंटर में जांच करानी चाहिए।
डॉ. रेखा बरापात्रे, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अस्पताल से निकलने वाले कचरे को कैसे अलग-अलग रंगों के डस्टबिन में सुरक्षित रूप से रखा जाता है, और कार्य करते समय किन-किन सावधानियों का पालन करना आवश्यक है।
नर्सिंग स्टाफ अमर ज्योति ने मरीजों के ट्रांसपोर्टेशन के दौरान ट्रॉली और व्हीलचेयर के सुरक्षित उपयोग तथा मरीज और स्वयं की सुरक्षा के विषय में महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
संगोष्ठी के दौरान सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमनेश मूर्ति एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि अस्पताल में समय-समय पर इस प्रकार के कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि कर्मचारियों के व्यक्तित्व एवं कार्यकुशलता में निरंतर सुधार हो सके।
कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती पुष्पलता शर्मा (नर्सिंग सिस्टर, कैजुअल्टी ओपीडी) द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्रीमती पिंकी दास, श्रीमती सरिता बहादुर, श्रीमती राजकुमारी चौहान (प्रभारी नर्सिंग सुपरीटेंडेंट) सहित नर्सिंग सिस्टर एवं अनेक कर्मचारीगण उपस्थित रहे