Bilaspur बिलासपुर। छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (CIMS), बिलासपुर के बायोकैमिस्ट्री व्याख्यान कक्ष में 29 और 30 अप्रैल को प्रथम वर्ष के पीजी छात्रों के लिए दो दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम एवं ‘रिसर्च मेथडोलॉजी’ कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य नवप्रवेशित पीजी विद्यार्थियों को संस्थान की कार्यप्रणाली, नैदानिक व्यवस्थाओं, चिकित्सा अनुसंधान की मूलभूत समझ और अनुसंधान कौशल से परिचित कराना था।




29 अप्रैल 2025 – ओरिएंटेशन कार्यक्रम
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 9:30 बजे रजिस्ट्रेशन और प्री-टेस्ट असेसमेंट के साथ हुई, जिसके पश्चात संस्थान के डीन डॉ. रामानेश मूर्ति ने उद्घाटन भाषण दिया। उन्होंने छात्रों का स्वागत करते हुए कहा:
“CIMS में स्नातकोत्तर शिक्षा केवल चिकित्सकीय ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि हम अपने छात्रों को एक ज़िम्मेदार चिकित्सक और संवेदनशील शोधकर्ता के रूप में तैयार करने का प्रयास करते हैं। यह कार्यशाला इसी दिशा में एक छोटा लेकिन प्रभावी कदम है।”
ओरिएंटेशन सत्र में छात्रों को हॉस्पिटल एडमिशन से डिस्चार्ज तक की प्रक्रिया, आपातकालीन स्थिति में ट्रायज प्रणाली का प्रयोग, परामर्श और सहमति का महत्व, तथा मेडिको-लीगल मामलों की जानकारी दी गई।
दोपहर के सत्र में बायोकैमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी एवं रेडियोलॉजीडायग्नोसिस विभागों द्वारा नमूना संग्रह (सैंपल कलेक्शन) की तकनीकें समझाई गईं। इसके बाद डॉ. सागरिका प्रधान ने बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट और पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइलेक्सिस पर विस्तृत सत्र लिया। दिन का समापन डॉ. स्रेया टोडी के सत्र से हुआ, जिसमें उन्होंने दवा लेखन, रेशनल प्रिस्क्राइबिंग और फार्माकोलॉजिकल ऑडिट पर व्याख्यान दिया।
30 अप्रैल 2025 – रिसर्च मेथडोलॉजी कार्यशाला
डॉ लखन सिंह, चिकित्सा अधीक्षक ने अनुसंधान को चिकित्सा शिक्षा का अभिन्न अंग बताते हुए कहा:
“आज के चिकित्सा विद्यार्थियों के लिए केवल अच्छे चिकित्सक बनना पर्याप्त नहीं है। उन्हें चिकित्सा विज्ञान के विकास में भी योगदान देना होगा। रिसर्च मेथडोलॉजी की समझ उन्हें इस दिशा में सशक्त बनाती है।”
इस दिन के प्रमुख सत्रों में डॉ. केशव कश्यप द्वारा हेल्थ रिसर्च के बुनियादी सिद्धांत, और डॉ. सागरिका प्रधान द्वारा रिसर्च क्वेश्चन निर्माण की रणनीति पर व्याख्यान दिए गए।
डॉ. मोनिका साहू, डॉ. स्रेया टोडी और डॉ. सचिन पांडे ने साहित्य समीक्षा, अध्ययन डिज़ाइन (डिस्क्रिप्टिव व एनालिटिकल स्टडी), तथा सैंपल साइज निर्धारण एवं पॉपुलेशन चयन जैसे तकनीकी विषयों पर सरल और व्यावहारिक तरीके से मार्गदर्शन किया।
दोपहर सत्र में डॉ. सुचिता सिंह, डॉ. मधुमिता जी. मूर्ति, डॉ. सुपर्णा गांगुली और डॉ. प्रशांत निगम ने डेटा कलेक्शन, रिसर्च एथिक्स, प्रोटोकॉल लेखन, और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट जैसे विषयों पर रोचक प्रस्तुतियाँ दीं।
कार्यक्रम का समापन स्किल लैब का शैक्षणिक भ्रमण, पोस्ट टेस्ट असेसमेंट, और डॉ. सागरिका प्रधान के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
कार्यक्रम में सभी विभागों के विशेषज्ञ संकायों की सक्रिय सहभागिता और छात्रों की उत्साही उपस्थिति ने इसे अत्यंत उपयोगी एवं प्रेरक बनाया। CIMS की छात्र शाखा एवं मेडिकल एजुकेशन यूनिट द्वारा यह आयोजन मेडिकल स्नातकोत्तर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रहा।