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ओबीसी आरक्षण खत्म करने और पंचायती राज संशोधन विवाद: हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, नया अध्यादेश आएगा

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
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00 हाई कोर्ट में लगाई गई थी याचिका

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में पंचायती राज अधिनियम में संशोधन और ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद में नया मोड़ आया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है। सरकार ने 23 जनवरी 2025 को नया अध्यादेश जारी किया है, जिसे बजट सत्र में विधानसभा के समक्ष पेश किया जाएगा। यह अध्यादेश पंचायती राज व्यवस्था में आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद का समाधान बनने का दावा किया जा रहा है।


क्या है पुराना अध्यादेश

  • 3 दिसंबर 2024 को राज्य सरकार ने पंचायती राज अधिनियम की धारा 129(ड) की उपधारा (03) को विलोपित करने के लिए अध्यादेश जारी किया।
  • यह संशोधन 5वीं अनुसूची में शामिल जिलों में ओबीसी आरक्षण से संबंधित था।

विवाद:

  • याचिकाकर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 213 का उल्लंघन बताते हुए अवैध करार दिया।
  • आरोप था कि इसे 6 महीने के भीतर विधानसभा में पारित नहीं किया गया, जिससे यह विधिशून्य हो गया।

याचिका की मुख्य मांगें

📌 अध्यादेश को अवैध घोषित करना:
याचिकाकर्ता का तर्क था कि अध्यादेश की वैधता समाप्त हो चुकी है, क्योंकि यह विधानसभा में पारित नहीं किया गया।

📌 पुराने प्रावधान लागू करना:
पंचायत चुनावों के लिए पुराने आरक्षण रोस्टर का उपयोग कर चुनाव कराए जाएं।

📌 आरक्षण रोस्टर रद्द करना:
संशोधित आरक्षण रोस्टर को पूरी तरह से निरस्त किया जाए।


राज्य सरकार का पक्ष

📦 नया अध्यादेश जारी:
23 जनवरी 2025 को राज्य सरकार ने नया अध्यादेश प्रस्तुत किया।

📦 बजट सत्र में पारित करने का वादा:
महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि इस अध्यादेश को बजट सत्र में पेश किया जाएगा।


हाईकोर्ट का निर्णय

📝 याचिका खारिज:
हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा नए अध्यादेश के आधार पर याचिका खारिज कर दी।

📝 संवैधानिक प्रक्रिया पर जोर:
सरकार को बजट सत्र में अध्यादेश पारित कर इसे कानूनी मान्यता देने का निर्देश दिया गया।


इस फैसले के संभावित प्रभाव

  • पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता:
    नए अध्यादेश के बाद आरक्षण विवाद का समाधान होगा।
  • संवैधानिक प्रक्रिया का पालन:
    सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि नया अध्यादेश बजट सत्र में पारित हो।
  • पंचायत चुनाव:
    चुनावों से पहले आरक्षण रोस्टर की वैधता तय करना आवश्यक है।

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