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रायपुर : नवा रायपुर में जनजातीय संग्रहालय बनकर तैयार

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 14 मई को करेंगे लोकार्पित
डिजीटल एवं एआई तकनीक के माध्यम से जनजातीय संस्कृति का होगा प्रदर्शन: प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा
रायपुर, 06 मई 2025
नवा रायपुर में जनजातीय संग्रहालय लगभग 9 करोड़ रूपए की लागत से बनकर तैयार हो गया है, इस सग्रहालय में जनजातीय संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। इस संग्रहालय का लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय 14 मई को करेंगे। प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने बताया कि संग्रहालय में डिजीटल एवं एआई तकनीक के माध्यम से जनजातीय संस्कृति का भी प्रदर्शन होगा।

उन्होंने आज संग्रहालय के शुभारंभ को लेकर अधिकारियों की बैठक ली और सभी कार्य जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। यह संग्रहालय नवा रायपुर स्थित आदिवासी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान परिसर में बनाया गया है।
प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने अधिकारियों को संग्रहालय के शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री के हाथों नवनियुक्त छात्रावास अधीक्षक को नियुक्ति प्रमाण-पत्र भी प्रदान करने साथ ही प्रयास आवासीय विद्यालय के जेईई मेंस 2025 में क्वालिफाई करने वाले छात्रों का सम्मान कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों के साथ जनजातीय संग्रहालय व्यस्थित रूप से रख-रखाव और यह आने वाले आगंतुकों के लिए आवश्यक व्यवस्था के संबंध में भी विचार-विमर्श किया। प्रमुख सचिव श्री बोरा ने सुशासन तिहार में मांग के 12 हजार 88 आवेदन और शिकायत के 222 आवेदनों को जन्द निराकरण करने के निर्देश दिए। बैठक में आयुक्त डॉ सारांश मित्तर, टीआरटीआई के संचालक श्री जगदीश कुमार सोनकर, उप सचिव श्री बी.एस राजपुत सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। गौरतलब है कि विभागीय मंत्री जी श्री रामविचार नेताम 01 मई को इस संग्रहालय का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे।
14 गेलरियों में दिखेगी जनजातीय संस्कृति
जनजातीय संग्रहालय में कुल 14 गैलरियां हैं, जिनमें जनजातीय जीवनशैली के सभी पहलुओं का बहुत ही खूबसूरत ढ़ंग से जीवंत प्रदर्शन किया गया है। इनमें जनजातियों के भौगोलिक विवरण, तीज-त्यौहार, पर्व-महोत्सव तथा विशिष्ट संस्कृति, आवास एवं घरेलू उपकरण, शिकार उपकरण, वस्त्र (परिधान) एवं आभूषण, कृषि तकनीक एवं उपकरणों, जनजातीय नृत्य, जनजातीय वाद्ययंत्रों, आग जलाने, लौह निर्माण, रस्सी निर्माण, फसल मिंजाई (पौधों से बीज अलग करना), कत्था निर्माण, चिवड़ा-लाई निर्माण, मंद आसवन, अन्न कुटाई व पिसाई, तेल प्रसंस्करण हेतु उपयोग में लाने जाने वाले उपकरणों व परंपरागत तकनीकों, सांस्कृतिक विरासत के अंतर्गत अबुझमाड़िया में गोटुल, भुंजिया जनजाति में लाल बंगला इत्यादि, जनजातीय में परम्परागत कला कौशल जैसे बांसकला, काष्ठकला, चित्रकारी, गोदनाकला, शिल्पकला आदि का एवं अंतिम गैलरी में विषेष रूप से कमजोर जनजाति समूह यथा अबूझमाड़िया, बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर एवं राज्य शासन द्वारा मान्य भुंजिया एवं पण्डो के विशेषीकृत पहलुओं का प्रदर्शन किया गया है।    

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