00 दहशत में दिन गुजर रहे थे
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ का चिरमिरी, एक ऐसा क्षेत्र जो अब तक बाघों की उपस्थिति के लिए नहीं जाना जाता था, इन दिनों चर्चा का केंद्र बन गया है। यहां बाघिन का दिखना न केवल आश्चर्यजनक था, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रति नए सवाल भी खड़े करता है। वन विभाग ने कड़ी मशक्कत के बाद सोमवार सुबह इस बाघिन को सुरक्षित पकड़ लिया गया।
यह वही बाघिन मानी जा रही है, जिसे हाल ही में मरवाही के जंगलों में देखा गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि भोजन और पानी की तलाश में बाघिन ने मरवाही से चिरमिरी की ओर रुख किया होगा। स्थानीय निवासियों ने कुछ दिनों पहले चिरमिरी के जंगलों में इस बाघिन को देखा था, जिसके बाद से वन विभाग सतर्क था।
कैसे पकड़ी गई बाघिन?
सोमवार सुबह बाघिन की मौजूदगी की खबर फैलते ही चिरमिरी के लोग रोमांचित हो गए। नाले के पास की झाड़ियों में छिपी इस बाघिन को देखने के लिए लोग जुट गए। स्थानीय निवासी बताते हैं कि बाघिन ने खुद को घंटों तक झाड़ियों के बीच छुपाए रखा। जब लोगों ने उसे करीब से देखने की कोशिश की, तो वह अचानक एक सुअर के बच्चे के पीछे दौड़ते हुए झाड़ियों से बाहर आई और तुरंत वापस छुप गई।
इस दृश्य ने स्थानीय निवासियों के लिए एक रोमांचक क्षण पैदा किया, लेकिन वन विभाग के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति थी। टीम ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर क्षेत्र को घेरा और बाघिन को सुरक्षित पकड़ने में सफलता पाई।
मरवाही से चिरमिरी तक सफर क्यों?
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघिन का चिरमिरी तक पहुंचना उसके प्राकृतिक आवास की कमी और भोजन की तलाश का संकेत है। मरवाही से चिरमिरी की दूरी करीब 60 किलोमीटर है, और यह सफर बाघिन ने जंगलों के माध्यम से तय किया होगा। यह घटना जंगलों के सिमटते दायरे और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित स्थानों की कमी की ओर इशारा करती है।
वन्यजीव संरक्षण पर बढ़ी चिंताएं
चिरमिरी में बाघिन का दिखना एक महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को तेज करना होगा। वन विभाग की सतर्कता और प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन जंगलों का विस्तार और बाघों के लिए सुरक्षित गलियारे तैयार करना जरूरी है।
यह घटना न केवल चिरमिरी और मरवाही के जंगलों के बीच कनेक्टिविटी की कहानी बताती है, बल्कि मानव और वन्यजीवों के सह-अस्तित्व के लिए नई चुनौतियां भी प्रस्तुत करती है।
रायपुर : पूर्वी साजापहाड़ इलाके में 6 दिनों से घूम रही बाघिन का सफल रेस्क्यू
वन मंत्री के निर्देश पर बाघिन का रेस्क्यू, दो मवेशियों का किया था शिकार, टाइगर रिजर्व एरिया में छोड़ा जाएगा
वन मंत्री केदार कश्यप के निर्देशन में कोरिया वनमंडल के अंतर्गत आने वाले नगर निगम चिरमिरी के रिहायशी इलाकों में बीते एक सप्ताह से विचरण कर रही बाघिन को ट्रैंकुलाइज करने के बाद सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है।
सरगुजा से वन संरक्षक (वन्यप्राणी) केआर बढ़ई की अगुवाई में बाघिन को रेस्क्यू करने कानन पेंडारी से डॉ. पीके चंदन, तमोर पिंगला एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर से डॉ. अजीत पांडेय व जंगल सफारी रायपुर से डॉ. वर्मा पहुंचे थे। उनकी निगरानी में आज शाम 4 बजे बाघिन को रेस्क्यू कर सुरक्षित ले जाया गया। मादा बाघ को नगर निगम चिरमिरी के हल्दीबाड़ी बघनच्चा दफाई के पास जंगल में ट्रैंकुलाइज किया गया। फिर उसे ग्रीन नेट से ढंककर पिंजरे में डाला गया। इसके बाद वन विभाग के ट्रक में लोड कर ले जाया गया। इस दौरान बाघिन को देखने बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। वन मुख्यालय रायपुर से निर्देश मिलने पर बाघिन को किसी टाइगर रिजर्व छोड़ा जाएगा।
गौरतलब है कि बीते एक सप्ताह से कोरिया वनमण्डल बैकुण्ठपुर के पूर्वी साजापहाड़ बीट में बाघिन के विचरण के प्रमाण मिलने के बाद से ही वन विभाग का अमला पूरी तरह से अलर्ट रहकर लगातार निगरानी बनाए हुए था। बाघिन के विचरण क्षेत्र में वनों के चारों ओर गांव बसे हुए हैं, इसको ध्यान में रखते हुए विशेष सावधानी बरती जा रही थी। वन मंडलाधिकारी ने बाघिन के रेस्क्यू और उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक वन्यप्राणी को पत्र लिखकर ट्रैंकुलाईजेशन और परिवहन की अनुमति भी मांगी थी।
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने बताया कि इस बाघिन के विचरण की पुष्टि ट्रैप कैमरा एवं प्रत्यक्ष रूप से हुई थी। इसके बाद वन विभाग का अमला सक्रिय होकर ग्रामीणों और चरवाहों को सावधानी बरतने तथा जंगल ने जाने की लगातार हिदायत दे रहा था। यह बाघिन आज नगर निगम चिरमिरी के वार्ड क्रमांक 15 एवं 6 नम्बर गोलाई (बगनचा) में एक बाड़ी में घुस गई थी। गश्ती दल बाघिन के मूव्हमेंट पर चौबीसों घंटे निगरानी रख रहा था। बाघिन ने 2 मवेशी का शिकार भी किया था।