छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुई घटना
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बस्तर क्षेत्र के नायब तहसीलदार के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार के मामले में पुलिस महानिरीक्षक ने सरकंडा थाना प्रभारी तो तोप सिंह नवरंग को बुधवार को लाइन अटैच कर दिया। साथ ही पुलिस अधीक्षक को मामले में 3 दिन के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा है। वही इस मामले को लेकर प्रशासनिक संघ गुरुवार को एक दिनी काम बंद हड़ताल पर रहेगा।इससे राजस्व से जुड़े विभिन्न कामकाज प्रभावित होंगे।
छत्तीसगढ़: तहसीलदार पर हमले के विरोध में 21 नवंबर को सामूहिक अवकाश
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में तहसीलदार और उनके परिवार पर हुए कथित हमले के विरोध में राज्य के तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने 21 नवंबर को सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है। यह घटना 17 नवंबर 2024 की रात की है, जब बिलासपुर के एक नायब तहसीलदार (जो वर्तमान में बसतर जिले में पदस्थ हैं) और उनके परिवार (भाई एवं पिता) के साथ पुलिस द्वारा अभद्र और अमानवीय व्यवहार किए जाने का मामला सामने आया।
छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने इस घटना को “अत्यंत निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया है। संघ का कहना है कि इस घटना ने प्रशासनिक अधिकारियों के मनोबल और गरिमा पर गहरा आघात पहुंचाया है।
सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार लेंगे अवकाश
संघ के अनुसार, इस घटना के विरोध में एकजुटता दिखाने के लिए राज्य के सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार 21 नवंबर को सामूहिक रूप से अवकाश पर रहेंगे। इस दिन सभी अधिकारी बिलासपुर में एकत्र होकर शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध दर्ज करेंगे और प्रशासनिक गरिमा की रक्षा हेतु उपयुक्त ज्ञापन प्रस्तुत करेंगे। संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि यह विरोध पूर्णत: संवैधानिक और शांतिपूर्ण रहेगा।
घटना ने खड़ा किया प्रशासनिक गरिमा का सवाल
संघ के बयान के अनुसार, एक सरकारी अधिकारी और उनके परिवार के साथ ऐसा व्यवहार न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि इससे समूचे प्रशासनिक ढांचे पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। संघ ने मांग की है कि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
शांति और सहयोग की अपील
संघ ने आम जनता से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि उनकी सेवाओं की गरिमा और सम्मान बनाए रखने के लिए यह निर्णय आवश्यक है। साथ ही, सभी संबंधित विभागों, अधिकारियों और जनता को भी स्थिति को समझने और सहयोग करने का आग्रह किया गया है।
प्रशासनिक क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल
इस घटना के कारण राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों के बीच गहरी नाराजगी और असंतोष देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने इसे प्रशासनिक स्वतंत्रता और सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा बताया है।
संघ की राज्य कार्यकारिणी ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
क्या है मामला
बस्तर जिले के करपावंड तहसील में कार्यरत कार्यपालिक मजिस्ट्रेट पुष्पराज मिश्रा का आरोप है कि वे बिलासपुर-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन से अपने निवास स्थान लौट रहे थे। 17 नवंबर की रात करीब 1:35 बजे, वह अपने पिता और भाई के साथ श्रीराम चौक के पास पहुंचे। वहाँ डीएलएस कॉलेज के समीप मौजूद दो पुलिसकर्मियों ने उन्हें रुकने का इशारा किया। अंधेरा होने के कारण तुरंत रुकने में थोड़ी देरी हुई, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने गालियां दीं और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया।पीड़ित का कहना है कि पुलिसकर्मी नशे में थे और उनसे दुर्व्यवहार करने लगे। जब पीड़ित ने खुद को सरकारी कर्मचारी बताया, तो पुलिसकर्मियों ने 112 पेट्रोलिंग वाहन को बुलाया। इसके बाद, उन्हें जबरन गाड़ी में बैठाया गया और गाली-गलौज करते हुए शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।