0 चिंगरापारा स्थित जगदीश ट्रेडिंग में खाद्य विभाग ने दी थी दबिश
0 कलेक्टर के आदेश पर सरकंडा थाने में दर्ज हुआ मामला
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में पीडीएस के चावल को कम कीमत में खरीदकर सर्टिक्स मशीन से पतला किया फिर उसे महंगे दाम पर बाजार में खपाने वाले जगदीश ट्रेडिंग के संचालक के खिलाफ सरकंडा पुलिस ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर लिया है। गोदाम से लिए सैंपल की जांच में सरकारी चावल मिलने के बाद कलेक्टर के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है।
चिंगराजपारा अपोलो रोड स्थित जगदीश ट्रेडिंग में सरकारी चावल की खरीदी करने की शिकायत मिली थी। इसे गंभीरता से लेते हुए खाद्य विभाग की टीम ने बीते 30 सितंबर को जगदीश ट्रेडिंग के गोदाम पहुंची तो यहां सर्टिक्स मशीन लगी हुई थी। जांच के दौरान प्रोपाइटर ने स्व घोषणा पत्र में बताया था कि उनके फर्म में चावल का स्टाक 1399.69 क्विंटल और कनकी 1198.00 क्विंटल है। टीम ने जब जांच की तो चावल का स्टाक 1563.18 क्विंटल और कनकी का 1083.50 क्विंटल था। इस तरह 163.49 क्विंटल चावल अधिक पाया गया। साथ सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित चावल होने की आशंका जाहिर की गई। इस पर नागरिक आपूर्ति निगम के गुणवत्ता निरीक्षक से चावल की लैब में जांच कराई गई। सैंपल में 1.1 प्रतिशत एफआरके पाया गया जो पीडीएस के चावल में होता है। जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई थी। कलेक्टर के आदेश पर बुधवार को खाद्य विभाग ने प्रोपराइटर रवि कुमार नागदेव पिता स्व राधामल नागदेव निवासी सदर बाजार के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत मामला दर्ज किया गया।
खंडा बनाकर करता था आपूर्ति
जगदीश ट्रेडिंग के प्रोपराइटर रवि नागदेव सरकारी चावल को सस्ती दर पर खरीदता था। इसके बाद अपने गोदाम में सर्टिक्स मशीन से इसकी कटाई और छंटाई करने के बाद इसे पतला करता था। इसी पतले पतले चावल को यह ऊंची कीमत पर बाजार में खपाता था। कटाई और छंटाई के बाद चावल के टुकड़े यानी कनकी को भी बेचा करता था। बाजार में इस खंडा चावल की बिक्री अधिक होती है।
क्या है सर्टिक्स
सर्टिक्स मशीन एक प्रकार की मशीन है जो चावल को उसकी रंगत के अनुसार छांटने का काम करती है। जब कच्चे चावल में पत्थर, खराब दाने, काले दाने, या आधा छिलका लगे दाने होते हैं, तो यह मशीन उन्हें पहचानकर अलग कर देती है। इसमें एक उच्च गुणवत्ता वाला सीसीडी आप्टिकल सेंसर होता है, जो चावल के दानों के रंग और गुणवत्ता को पहचानता है। जब यह मशीन काम करती है, तो यह स्वचालित रूप से ऐसे दानों को हटाती है, जिससे चावल की गुणवत्ता बेहतर होती है। इस प्रक्रिया से चावल साफ और उपयोग के लिए तैयार हो जाता है। इसी मशीन से सरकारी मोटा चावल को कटिंग कर इसे पतले चावल में बदलकर मोटी रकम संचालक कमा रहे थे। साथ ही इसकी खंडा को भी बिक्री कर रहे थे।