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अंतिम संस्कार के इंतजार में पड़ा रहा पादरी का शव, सुप्रीम कोर्ट ने कहा राज्य सरकार और हाई कोर्ट का समाधान नहीं कर पाना बहुत ही दुखद

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
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00 मामले को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार से किया है जवाब तलब

नईदिल्ली। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक धार्मिक विवाद ने गंभीर मोड़ ले लिया, जब एक व्यक्ति ने अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुभाष पादरी, जिनका हाल ही में निधन हुआ, का शव गांव के कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति नहीं मिल रही थी। ग्रामीणों का आरोप था कि किसी ईसाई को गांव में दफनाने नहीं दिया जाएगा। मामला इतना बढ़ गया कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा, और राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया।


बस्तर के दरभा गांव के निवासी रमेश बघेल का परिवार आदिवासी समुदाय से है, और उनके पूर्वजों ने ईसाई धर्म स्वीकार किया था। 7 जनवरी को रमेश के पिता, सुभाष पादरी, का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार के लिए परिवार ने गांव के कब्रिस्तान में एक अलग जगह का चयन किया था, जो विशेष रूप से ईसाई समुदाय के लिए आरक्षित थी। हालांकि, गांव के लोगों ने इस पर विरोध जताया और कहा कि किसी भी ईसाई व्यक्ति को गांव में दफनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, चाहे वह सार्वजनिक कब्रिस्तान हो या निजी भूमि।

रमेश ने इस समस्या को सुलझाने के लिए स्थानीय अधिकारियों से सुरक्षा और सहायता की मांग की, लेकिन मदद न मिलने पर उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कहा कि यदि अंतिम संस्कार 20-25 किलोमीटर दूर किसी अन्य स्थान पर किया जाए, तो कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि गांव में ईसाईयों के लिए कोई अलग कब्रिस्तान नहीं है।

चूंकि इस विवाद का समाधान नहीं हो सका, इसलिए रमेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को अत्यंत दुखद बताया और कहा कि किसी व्यक्ति को अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए न्यायालय का रुख करना पड़ रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए उनसे जवाब तलब किया और मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय की।

यह मामला न केवल छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में बल्कि पूरे देश में धर्म और अंतिम संस्कार के अधिकारों को लेकर चल रहे विवादों को उजागर करता है। बस्तर में इस प्रकार के विवाद पहले भी उठ चुके हैं, जैसे 30 दिसंबर को एक ईसाई महिला के शव को लेकर हुआ विवाद। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन चुका है कि वे इस प्रकार के संवेदनशील मामलों का सही समाधान सुनिश्चित करें। मालूम हो कि छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत नियम, 1999 के तहत, मृत व्यक्ति के धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार के लिए उचित स्थान प्रदान करना ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है।

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