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सिम्स के डीन प्रो मूर्ति की मेहनत रंग लाई, CIMS, बिलासपुर का राष्ट्रीय AMR नियंत्रण कार्यक्रम में चयन: स्वास्थ्य क्षेत्र में जुड़ेगा एक नया अध्याय

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
3 Min Read

Bilaspur बिलासपुर। राष्ट्रीय AMR नियंत्रण कार्यक्रम का हिस्सा बनना CIMS, बिलासपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह चयन स्वास्थ्य क्षेत्र में न केवल संस्थान की प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा, बल्कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के खिलाफ एक मजबूत कदम साबित होगा।

बढ़ते एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर रोकथाम के प्रयास
एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट है, जिससे संक्रमण के इलाज के लिए उपलब्ध दवाओं का प्रभाव कम होता जा रहा है। इस चुनौती का सामना करने के लिए, भारत सरकार ने “राष्ट्रीय एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध नियंत्रण कार्यक्रम” की शुरुआत की। इसका उद्देश्य AMR की निगरानी और नियंत्रण को सुदृढ़ करना है।

CIMS, बिलासपुर का गौरवपूर्ण चयन
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (CIMS), बिलासपुर को 2025-28 के दौरान इस कार्यक्रम में शामिल करने की स्वीकृति प्रदान की है। यह संस्थान अब देशभर के 60 प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों के नेटवर्क का हिस्सा बनेगा, जो AMR के खिलाफ सामूहिक प्रयास में योगदान देगा।

कार्यक्रम का महत्व और आगामी कदम
डॉ. रंजन दास, संचालक, NCDC ने CIMS को इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए बधाई दी है और अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति से अनुरोध किया है कि वे समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करके इसे शीघ्र NCDC को प्रेषित करें। इसके बाद, संस्थान को अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे निगरानी और नियंत्रण गतिविधियों को सशक्त बनाया जा सकेगा।

एंटीबायोटिक नीति: AMR की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका
कार्यक्रम के तहत एंटीबायोटिक नीति तैयार की जाएगी, जिसका उद्देश्य एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को वैज्ञानिक तरीके से अनुकूलित करना है। इसमें दवाओं का सही चयन, उचित खुराक, समय पर प्रशासन और उपचार की अवधि सुनिश्चित करना शामिल है। इससे न केवल संक्रमणों का प्रभावी इलाज होगा, बल्कि अनावश्यक दुष्प्रभाव और प्रतिरोध के जोखिम को भी कम किया जा सकेगा।

मरीजों और चिकित्सकों की भूमिका
AMR की रोकथाम में मरीजों और चिकित्सकों की भूमिका अहम है। मरीजों द्वारा दवाओं को सही तरीके से न लेना, जैसे:

  1. निर्धारित खुराक पूरी न करना।
  2. इलाज को निर्देशित समय तक जारी न रखना।
  3. दवा निश्चित समय पर न लेना।
    यह सब AMR को बढ़ावा देता है।

चिकित्सकों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे दवाओं के उपयोग के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश दें और जागरूकता फैलाएं।


CIMS का इस नेटवर्क में चयन न केवल संस्थान के लिए, बल्कि छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है। यह कदम राज्य में AMR से जुड़े शोध और नियंत्रण गतिविधियों को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।



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