Latest news

अच्छी खबर…. बेसहारा मवेशियों  को मिलेगा आशियाना

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
6 Min Read

00 छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की फटकार काअसर दिखाने लगा, हर विकासखंड में दो – दो पशु आश्रय केन्द्र संचालित करने का निर्णय

00 सड़कों से हटाकर आश्रय केन्द्रों में रखे जाएंगे मवेशी
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की फटकार का असर जिला प्रशासन के अवसरों पर पड़ने लगा हैकलेक्टर अवनीश शरण की अध्यक्षता में जिला पशु कल्याण समिति के शासी निकाय की बैठक मंथन सभा कक्ष में हुई। बैठक में  पशुओं की देखरेख के लिए हर ब्लॉक में दो दो पशु आश्रय केंद्र की स्थापना का निर्णय लिया गया। पशु चिकित्सालयों की मजबूती के लिए राशि की मंजूरी के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। लगभग 5 वर्ष बाद पशु कल्याण समिति की बैठक कलेक्टर के निर्देश पर आयोजित की गई। बैठक में दुर्घटना रोकने सड़कों पर से आवारा पशुओं को हटाकर इनका पुनर्वास करने और पशु चिकित्सालयों की हालात सुधारने के लिए लगभग 47 लाख रुपए के बजट प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। यह राशि जीवन दीप समिति की तरह संग्रहित राशि है, जिसे पशु चिकित्सालयों में इलाज के लिए लाए गए पशुओं के मालिकों से पंजीयन शुल्क के रूप में ली जाती है। इस तरह पशु कल्याण समिति के कोष में पिछले 4 – 5 साल में लगभग 47 लाख रुपया संचित हुआ है।
कलेक्टर अवनीश शरण ने कहा कि फिलहाल हर ब्लॉक में दो दो ग्रामों में पशु आश्रय केंद्र संचालित किए जाएंगे। केवल आवारा किस्म की पशुओं को जो सड़क में दुर्घटना का कारण बनते हैं, उन्हें रखा जायेगा। राजमार्ग और प्रमुख सड़कों के किनारे के ग्रामों का चयन इसके लिए किया जाएगा। ग्रामों में पूर्व से ही उपलब्ध अधो संरचनाओं का उपयोग इसके लिए किया जाएगा। जिन पशुओं के मालिक हों, उन्हें नहीं बल्कि आवारा और सड़क दुर्घटना का कारण बन रहे पशुओं को आशय केन्द्र में पनाह दी जायेगी। आश्रय केंद्र के लिए प्रत्येक ब्लॉक को 2- 2 लाख और नगर निगम को 5 लाख दिए जाने का निर्णय लिया गया। पशु आश्रय केंद्र में रखे जाने वाले जानवरों की विशेष पहचान होगी। उनकी टैगिंग करने के साथ उनके सींगों को कलर से रंग किया जाएगा। जोगीपुर में निर्माणाधीन गो अभ्यारण्य में सोलर एनर्जी से उर्जीकृत करने के प्रस्ताव का भी बैठक में अनुमोदन किया गया। सड़कों पर पशुओं के बैठे होने और दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त की गई। इन्हें रोकने के विभिन्न उपायों पर बैठक में विचार विमर्श भी किया गया। बैठक में पशु चिकित्सालयों के लिए जरूरी उपकरण, फर्नीचर, भवन मरम्मत आदि कार्यों के लिए भी लगभग 25 लाख रुपए की राशि के प्रस्ताव का सर्वसम्मति से अनुमोदन किया गया। बैठक में नगर निगम आयुक्त श्री अमितकुमार भी उपस्थित थे। सदस्य सचिव और संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा विभाग डॉ. तंवर ने समिति के उद्देश्य और कामकाज से अवगत कराया।

*मिलेगा रोजगार,…डेयरी और मछलीपालन के लिए आसानी से लोन उपलब्ध कराने का फरमान, रिजेक्ट और लंबित आवेदनों की भी होगी जांच*

खेती किसानी से आमदनी बढाने के लिए संचालित सरकार की विभिन्न योजनाओं से संबंधित अधिकारियों की बैठक लेकर कलेक्टर अवनीश शरण ने विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने अतिरिक्त आमदनी बढ़ाने के लिए डेयरी, मछलीपालन और फूलों की खेती पर जोर दिया। उन्होंने इन कारोबारों पर ज्यादा से ज्यादा लोन देने के निर्देश दिए। अब तक इन व्यवसायों में लोन दिये जाने की उपेक्षा किये जाने पर जिला सहकारी बैंक प्रबंधन को फटकार लगाई।
कलेक्टर श्री शरण ने कहा कि सरकार ने डेयरी, मछलीपालन, सब्जी की खेती को भी कृषि का दर्जा दिया है। इनकी गतिविधि को बढ़ाने के लिए उन्हें भी खेती की तरह आसान ऋण उपलब्ध कराने में बाधा नहीं आने दिया जायेगा। उन्होंने आवेदनों के रिजेक्ट अथवा लंबित होने के मामले की जांच के लिए ब्लॉक स्तरीय समिति के गठन के निर्देश दिए। उन्होंने बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा दिए गये निर्देशों और उनके पालन की स्थिति की भी जानकारी ली। कलेक्टर ने फसल बीमा योजना से ज्यादा संख्या में किसानों के आप्ट आउट हो जाने पर चिंता जाहिर की। श्री शरण ने कहा कि संकट की दशा में इससे किसानों को काफी राहत मिलती हैं। प्रीमियम भी कुछ ज्यादा नहीं है। इसलिए किसानों को हर साल योजना का फायदा उठाना चाहिए। काफी सोच-समझ के केन्द्र सरकार ने योजना को लांच किया है। उप संचालक कृषि ने बताया कि गरमी में धान का रकबा कम करने की कार्य-योजना तैयार की गई है। पिछले साल से धान का रकबा कम कर इस साल केवल साढे 16 हजार हेक्टेयर में रबी धान का लक्ष्य रखा गया है। प्रत्येक आरएईओ को धान के बदले दलहन-तिलहन बोने वाले किसानों को चिन्हित कर उन्हें विभागीय योजनाओं का प्राथमिकता के साथ फायदा दिलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 10 साल से ज्यादा पुराना और इससे कम अवधि के खेती की तुलना कर किसानों को समझाएं। परिणाम की जानकारी देकर उन्हें समझाइश दें। कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञों ने सरना के बदले एमटीयू 1318 प्रजाति को बेहतर बताया। इससे 45 से 48 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे रहा है। प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थों की उपलब्धता के मामले में लक्ष्य से बाहर जाकर कुछ उल्लेखनीय काम करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए।

खबर को शेयर करने के लिए क्लिक करे।।