00 छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित अरपा नदी में अवैध रेत उत्खनन पर ग्रामवासियों का आक्रोश, कलेक्टर से लगाई गुहार
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)।
जिला बिलासपुर के तहसील बेलगहना अंतर्गत ग्राम सोनपुरी में अरपा नदी से बड़े पैमाने पर रेत उत्खनन की तैयारी ने ग्रामवासियों में भारी रोष उत्पन्न कर दिया है। ग्रामवासियों ने जिलाधीश से इस अवैध उत्खनन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
ग्रामवासियों का कहना है कि अरपा नदी उनके जीवन का प्रमुख स्रोत है। इस नदी का जल पीने, नहाने और घरेलू कार्यों में उपयोग किया जाता है। यदि नदी से भारी वाहनों द्वारा रेत निकाला गया तो जलस्तर गिरने से पूरे क्षेत्र में जल संकट खड़ा हो सकता है।
शिक्षण संस्थानों पर मंडरा रहा खतरा
गांव की सड़कें संकरी हैं और इनके दोनों ओर प्राथमिक शाला, पूर्व माध्यमिक शाला एवं आंगनबाड़ी केंद्र स्थित हैं। यहां पर कक्षा 1 से 8 तक के छोटे-छोटे बच्चे प्रतिदिन आते-जाते हैं और खेलते हैं। ग्रामवासियों का कहना है कि भारी वाहनों की आवाजाही से बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने प्रशासन से इस मार्ग पर भारी वाहनों के संचालन पर भी रोक लगाने की मांग की है।
ग्रामवासियों की चिंता
ग्रामवासियों ने जिलाधिकारी को दिए आवेदन में कहा है कि रेत उत्खनन से न केवल पर्यावरण को नुकसान होगा, बल्कि इससे उनके जीवनयापन में भी कठिनाई आएगी। सोनपुरी के निवासी अरपा नदी को जीवनदायिनी मानते हैं और इसके जल पर उनकी निर्भरता अत्यधिक है।
बज रही खतरे की घंटी
अरपा नदी में अवैध उत्खनन: खतरे की घंटी
ग्राम सोनपुरी में अरपा नदी से अवैध रेत उत्खनन की योजना न केवल जल संकट का कारण बनेगी, बल्कि गांव के पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचाएगी। नदी से रेत निकालने से नदी का जल स्तर नीचे गिर जाएगा, जिससे आसपास के क्षेत्रों में भूजल का स्तर भी प्रभावित होगा।
क्यों जरूरी है रोक:
1. जल संकट: रेत निकालने से जल संरक्षण पर प्रभाव पड़ेगा।
2. सड़क सुरक्षा: संकरी सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही से दुर्घटना की संभावना बढ़ेगी।
3. शिक्षा संस्थान: स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों की सुरक्षा खतरे में।
प्रशासन के कदम का इंतजार
ग्रामवासियों ने जिलाधिकारी से इस अवैध रेत उत्खनन पर तत्काल रोक लगाने और गांव की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।
आंदोलन की चेतावनी
ग्रामवासियों ने कहा कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे। उनका कहना है कि अरपा नदी को बचाने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे।