00 पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के समर्थक को मिलेगा टिकट या आरएसएस से आएगा कोई नया नाम
00 भाजपा में टिकट को लेकर जारी है मंथन का दौर
*By mohammed israil*
Bilaspur। बिलासपुर नगर निगम के आगामी चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में मेयर पद के दावेदारों पर मंथन तेज हो गया है। इस बार भाजपा में पुराने और नए चेहरों की जुगलबंदी देखी जा सकती है। युवा नेता शैलेंद्र यादव, वरिष्ठ नेता रामदेव कुमावत, और पिछड़ा वर्ग से जुड़े अन्य कई प्रमुख नाम चर्चा में हैं। शहर में इस बात की चर्चा है कि पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के समर्थक को ही इस बार भी टिकट मिलेगा। साथी यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आरएसएस से कोई नया नाम आ सकता है।
युवा चेहरा बनाम अनुभवी नेतृत्व
शैलेंद्र यादव, पार्टी के एक उभरते हुए युवा नेता, संगठन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि और जमीनी पकड़ उन्हें मेयर पद के लिए मजबूत दावेदार बनाती है। दूसरी ओर, पार्टी के वरिष्ठ नेता रामदेव कुमावत, जो पूर्व जिला अध्यक्ष रह चुके हैं, संगठनात्मक अनुभव और लंबे राजनीतिक करियर के कारण दावेदारी पेश कर रहे हैं।
पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का प्रभाव

बिलासपुर में भाजपा की राजनीति में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का प्रभाव हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। स्थानीय समीकरणों और पार्टी की रणनीति को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि अमर अग्रवाल के करीबी समर्थक को ही इस बार टिकट दिया जाएगा। इससे न केवल स्थानीय समर्थन मिलेगा, बल्कि पार्टी का पुराने वोटबैंक पर भी मजबूत पकड़ बनी रहेगी।
क्या डिप्टी सीएम अरुण साहू की चलेगी

छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साहू की भूमिका भी नगरीय निकाय चुनावों में अहम मानी जा रही है। साहू का प्रभाव पिछड़ा वर्ग और युवा मतदाताओं के बीच गहराई से जुड़ा हुआ है। ऐसे में उनके समर्थन और रणनीति से बिलासपुर में भाजपा को फायदा हो सकता है। टिकट में भी उनकी चलने की बात चर्चा में है।साहू की छवि एक सुलझे हुए और जमीनी नेता की है। उनके नेतृत्व में भाजपा पिछड़ा वर्ग और शहर में जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों के वार्ड के मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रही है। बिलासपुर जिले में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक होने के कारण साहू का प्रभाव निर्णायक साबित हो सकता है।
स्थानीय समीकरण और चुनौतियां
हालांकि, स्थानीय स्तर पर अमर अग्रवाल समर्थकों की दावेदारी और शैलेंद्र यादव जैसे युवा चेहरों की मजबूत उपस्थिति से भाजपा को संतुलन साधने की चुनौती भी होगी। डिप्टी सीएम अरुण साहू की रणनीति इस संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।बिलासपुर नगर निगम के आगामी महापौर (मेयर) पद के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में दावेदारों की सूची में कई प्रमुख नाम सामने आ रहे हैं। हाल ही में महापौर पद को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित घोषित किया गया है, जिससे ओबीसी समुदाय से संबंधित नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है।
ये हैं प्रमुख दावेदार
रमेश जायसवाल:

भाजपा में 1989 से सक्रिय रमेश जायसवाल कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। नगर निगम परिषद में कई बार पार्षद और मेयर कौंसिल के सदस्य के रूप में उनका अनुभव उन्हें मजबूत दावेदार बनाता है।
रामदेव कुमावत:

पूर्व जिला अध्यक्ष रामदेव कुमावत का संगठन में गहरा अनुभव और व्यापक जनसंपर्क उन्हें दावेदारी में महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है।
शैलेंद्र यादव:

युवा नेता शैलेंद्र यादव पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं, जिससे वे मेयर पद के लिए संभावित उम्मीदवार माने जा रहे हैं।
विनोद सोनी:

भाजपा के वरिष्ठ नेता विनोद सोनी का नाम भी संभावित दावेदारों में शामिल है।
पूजा विधानी:

महिला नेता पूजा विधानी भी इस पद के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर सकती हैं, जिससे पार्टी महिला मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस से सीधा मुकाबला

वहीं, कांग्रेस भी इस बार पूरे दमखम से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। कांग्रेस के दावेदारों में महापौर रामशरण यादव, जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद नायक, राजेंद्र जायसवाल समेत एक दर्जन नाम चर्चा में हैं।भाजपा के लिए चुनौती होगी कि वह अपने उम्मीदवार का चयन कैसे करती है, ताकि पार्टी के भीतर संतुलन बना रहे और मतदाताओं के बीच सकारात्मक संदेश जाए। संगठनात्मक अनुभव, जनसंपर्क, और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टी को अपने उम्मीदवार का चयन करना होगा।महापौर पद के ओबीसी के लिए आरक्षित होने से भाजपा में ओबीसी समुदाय के नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। पार्टी नए और पुराने चेहरों के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रही है, ताकि सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त हो सके। इसके अलावा, कांग्रेस भी अपने संभावित उम्मीदवारों के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है, जिससे मुकाबला कड़ा होने की संभावना है।
बस थोड़ा इंतजार कीजिए…
बिलासपुर में मेयर पद को लेकर भाजपा में इस बार युवा और वरिष्ठ नेतृत्व के बीच मुकाबला दिलचस्प होगा। अमर अग्रवाल का प्रभाव और अरुण साहू की रणनीति, दोनों मिलकर भाजपा के चुनावी समीकरणों को तय करेंगे। अब देखना होगा कि पार्टी किस चेहरे पर दांव लगाती है और किस प्रकार से चुनावी समीकरण साधती है।