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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में बाघ की दस्तक: ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग सतर्क

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में शुक्रवार सुबह एक बाघ की मौजूदगी ने इलाके में सनसनी फैला दी। परासी गांव में बाघ को जंगल से निकलकर गांव के पास घूमते हुए देखा गया। ग्रामीणों ने इसकी तस्वीरें और वीडियो बनाए, जिनमें बाघ को एक कार के पास से गुजरते हुए देखा गया। इस घटना ने स्थानीय निवासियों के बीच डर पैदा कर दिया है। वन विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए तुरंत बाघ की मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए कदम उठाए हैं।

ग्रामीणों ने मोबाइल में कैद की tiger की तस्वीर

कैसे चला बाघ का पता

गुरुवार रात, परासी गांव के निवासी छोटे लाल कैवर ने पहली बार बाघ की तस्वीर ली। शुक्रवार सुबह राहगीरों ने गुजर नाले के पास इसे देखा और वीडियो बनाया। वीडियो में बाघ बेहद सतर्क और आसपास के माहौल को समझते हुए नजर आया।

बाघ की यात्रा का रूट

मरवाही वनमंडल के डीएफओ रौनक गोयल के अनुसार, यह बाघ पहले अमरकंटक टाइगर रिज़र्व (एटीआर) में देखा गया था। वहां से यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ इलाके में गया। पुष्पराजगढ़ में 2 दिन तक रहने के बाद, यह गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के परासी गांव में देखा गया।

अनूपपुर क्षेत्र में किया भैंस का शिकार

पिछले 2 दिनों तक अनूपपुर जिले के अमरकंटक वन परिक्षेत्र के मेढ़ाखार गांव में बाघ देखा गया था। यहां उसने एक भैंस का शिकार किया। बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ट्रैप कैमरे लगाए गए थे। वहां के ग्रामीणों ने बताया कि बाघ ने गांव के आसपास डेरा डाल लिया था।

वन विभाग ने बनाई टीम

वन विभाग ने बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक विशेष टीम बनाई है। विभाग का मानना है कि बाघ अमरकंटक क्षेत्र से घूमते हुए छत्तीसगढ़ के मरवाही वनमंडल में प्रवेश कर गया है। अधिकारियों ने ट्रैप कैमरे और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके उसकी मूवमेंट को ट्रैक करना शुरू कर दिया है।

स्थानीय निवासियों के लिए चेतावनी

वन विभाग ने परासी और आसपास के गांवों के निवासियों से सतर्क रहने और बाघ को उकसाने से बचने की अपील की है। ग्रामीणों को सलाह दी गई है कि वे समूह में रहें और किसी भी आपात स्थिति में वन विभाग को तुरंत सूचित करें।

– छत्तीसगढ़ में  31 टाइगर

छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या में हाल के वर्षों में वृद्धि देखी गई है। 2022 की टाइगर सेंसेस रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में बाघों की संख्या 24 से बढ़कर 31 हो गई है। मुख्य रूप से इनकी उपस्थिति अचानकमार टाइगर रिज़र्व, उदंती-सीतानदी रिज़र्व और इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में है। राज्य सरकार संरक्षण योजनाओं पर काम कर रही है, लेकिन बाघों के प्राकृतिक आवास में कमी और मानव-बाघ संघर्ष बड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं।

क्या है प्रवासी बाघों की स्थिति

अमरकंटक क्षेत्र, जो छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बीच स्थित है, प्रवासी बाघों का प्रमुख कॉरिडोर है। एटीआर (अचानकमार टाइगर रिज़र्व) और बांधवगढ़ के बीच यह इलाका बाघों की आवाजाही के लिए जाना जाता है। प्रवासी बाघ अक्सर भोजन और क्षेत्रीय संघर्ष के कारण अपने मूल स्थानों को छोड़ देते हैं। इस दौरान उनके ग्रामीण इलाकों में पहुंचने की घटनाएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ इस पर विशेष निगरानी रखने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।

जरूरत है  रणनीति की

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में बाघ की मौजूदगी से जहां वन्यजीव संरक्षण की दिशा में जागरूकता की जरूरत महसूस होती है, वहीं ग्रामीणों के लिए यह चिंता का विषय है। वन विभाग की सक्रियता और बाघ को जंगल की ओर वापस ले जाने के प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन भविष्य में ऐसे मामलों से निपटने के लिए बेहतर रणनीतियों की आवश्यकता है।

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