00 सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों के मामले में देश में राज्य का स्थान तीसरे नंबर पर
00 बिलासपुर पुलिस की सरप्राइज चेकिंग में यातयात नियम तोड़ने वाला के खिलाफ हुई बड़ी कार्रवाई

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में शराब पीकर वाहन चलाने के कारण 2024 में अब तक सड़क हादसों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की दर 17.6 प्रति 1 लाख लोगों पर है, जो देश में तीसरे स्थान पर है। हाल के महीनों में, शराब पीकर वाहन चलाने के कारण हुए सड़क हादसों में लगभग 200 से अधिक मौतें और सैकड़ों दुर्घटनाएं दर्ज की गईं।राज्य सरकार ने इस पर सख्त कदम उठाने के लिए जागरूकता अभियान और कड़े चेकिंग अभियान शुरू किए हैं, लेकिन आंकड़े अब भी चिंताजनक हैं। इसी कड़ी में बिलासपुर पुलिस सरप्राइज चेकिंग अभियान चला रही है जिसमें बड़ी संख्या में यातायात नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई है।
00 सरप्राइज चेकिंग अभियान: 142 वाहनों पर कार्रवाई, 48,400 रुपए का जुर्माना
बिलासपुर पुलिस ने शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए 18 नवंबर को विशेष चेकिंग अभियान चलाया। यह अभियान पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के निर्देश पर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) राजेंद्र कुमार जायसवाल के नेतृत्व में चलाया गया। अभियान के तहत शहरी और ग्रामीण थाना क्षेत्रों में संदिग्ध वाहनों और यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की गई।
कैसा था चेकिंग अभियान
00 ग्रामीण क्षेत्र: शाम 6:00 से 8:00 बजे तक।
00 शहरी क्षेत्र: रात 10:00 से 11:30 बजे तक।
प्रमुख चौराहों और यातायात के संवेदनशील स्थानों पर पुलिस की टीमों ने सरप्राइज चेकिंग की।
00 कार्रवाई के आंकड़े उल्लंघन का प्रकार वाहनों की संख्या ड्रिंक एंड ड्राइव 16 यातायात नियमों का उल्लंघन 142 कुल जुर्माना ₹48,400
00 ड्रिंक एंड ड्राइव करने वाले 16 चालकों पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 के तहत कार्रवाई की गई। इन मामलों को आगे की प्रक्रिया के लिए न्यायालय भेजा जाएगा।
नियमों के उल्लंघन की जांच
चेकिंग के दौरान इन बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया गया:
तीन सवारी वाले वाहन।
बिना नंबर प्लेट या गलत नंबर प्लेट वाले वाहन।
प्रेशर हॉर्न, बिना सीट बेल्ट वाले वाहन।
काली फिल्म लगे वाहन।
अन्य संदिग्ध वाहन और उनकी वैधता।
इस पर लगाना है अंकुश
पुलिस ने इस अभियान का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि यह ड्रिंक एंड ड्राइव जैसी खतरनाक आदतों और सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए किया गया। साथ ही, अपराधियों की गतिविधियों को नियंत्रित करना और यातायात नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी प्राथमिकता थी।
पुलिस अधिकारी रहे सक्रिय
इस अभियान में नगर पुलिस अधीक्षक सिविल लाइन निमितेश सिंह, कोतवाली अक्षय सभद्रा, सरकंडा सिद्धार्थ बघेल, चकरभाठा डी.आर. टंडन, और अनुविभागीय पुलिस अधिकारी (कोटा) नुपूर उपाध्याय ने सक्रिय भूमिका निभाई।
सरप्राइज चेकिंग के दौरान दिया मैसेज
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे यातायात नियमों का पालन करें और सुरक्षित ड्राइविंग को प्राथमिकता दें। इस तरह के अभियान आगे भी चलते रहेंगे ताकि शहर में सुव्यवस्थित यातायात और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की जांच के लिए पुलिस वैज्ञानिक और तकनीकी विधियों का उपयोग करती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि केवल दोषी व्यक्तियों पर ही कार्रवाई हो और यातायात सुरक्षा के नियमों का पालन हो।
00 जानिए कैसे होती है जांच
- ब्रीथ एनालाइजर का उपयोग:
पुलिस अधिकारियों के पास ब्रीथ एनालाइजर नामक उपकरण होता है, जो चालक की सांस में अल्कोहल की मात्रा को मापता है।
चालक को एक बार उपकरण में फूंक मारने के लिए कहा जाता है।
यदि अल्कोहल की मात्रा निर्धारित सीमा (0.03% ब्लड अल्कोहल कंसंट्रेशन या उससे अधिक) से अधिक पाई जाती है, तो व्यक्ति को शराब पीकर वाहन चलाने का दोषी माना जाता है।
- व्यवहार का निरीक्षण:
चालकों के शारीरिक और मानसिक व्यवहार का निरीक्षण किया जाता है, जैसे लड़खड़ाना, धीमा प्रतिक्रिया देना, या आंखों की लालिमा।
इन लक्षणों के आधार पर पुलिस अधिकारी व्यक्ति को ब्रीथ एनालाइजर से जांचने का निर्णय लेते हैं।
- फील्ड सोबरिटी टेस्ट (FST):
कुछ मामलों में ब्रीथ एनालाइजर के अतिरिक्त फील्ड टेस्ट भी किए जाते हैं।
उदाहरण:
एक सीधी रेखा पर चलने को कहा जाता है।
आंखों को बंद करके सीधे खड़े रहने का परीक्षण।
सरल प्रश्नों का उत्तर देने की क्षमता की जांच।
- ब्लड टेस्ट (आवश्यक होने पर):
यदि चालक ब्रीथ एनालाइजर की जांच से असहमत हो, तो पुलिस उसे मेडिकल जांच के लिए ले जा सकती है।
ब्लड सैंपल लेकर उसमें अल्कोहल की मात्रा की पुष्टि की जाती है।
क्या है सजा
मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 के तहत:
पहली बार पकड़े जाने पर जुर्माना या 6 महीने की जेल या दोनों।
बार-बार उल्लंघन करने पर 2 साल तक की जेल और अधिक जुर्माना।
ड्राइविंग लाइसेंस निलंबन या रद्द।
वाहन जब्ती (आवश्यकतानुसार)।
00 प्रदेश में बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था: हाई कोर्ट ने उठाया सख्त कदम

छत्तीसगढ़ में लगातार खराब ट्रैफिक व्यवस्था और सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाओं पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में डिवीजन बेंच ने प्रदेश के ट्रैफिक सिस्टम की पड़ताल के लिए कोर्ट कमिश्नरों को जिम्मेदारी सौंपी है। यह कदम जनहित याचिका (पीआईएल) के तहत उठाया गया है, जिसकी अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
छत्तीसगढ़ में लगातार खराब ट्रैफिक व्यवस्था और सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाओं पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में डिवीजन बेंच ने प्रदेश के ट्रैफिक सिस्टम की पड़ताल के लिए कोर्ट कमिश्नरों को जिम्मेदारी सौंपी है। यह कदम जनहित याचिका (पीआईएल) के तहत उठाया गया है, जिसकी अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
कोर्ट कमिश्नरों को सौंपी गई जिम्मेदारी
हाई कोर्ट ने अधिवक्ता प्रांजल अग्रवाल और रविंद्र शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर प्रदेशभर में ट्रैफिक व्यवस्थाओं की जांच करने और 28 दिनों में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
मुख्य समस्याएं
1. आवारा मवेशियों का सड़कों पर कब्जा
सड़कों पर मवेशियों की मौजूदगी दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है।
कोर्ट कमिश्नरों ने बताया कि मवेशियों को हटाने की कोई स्थायी योजना नहीं है। सुबह हटाए गए मवेशी शाम को फिर सड़कों पर लौट आते हैं।
2. अस्पतालों में पार्किंग की कमी
निजी अस्पतालों में पार्किंग सुविधा का अभाव देखा गया।
मरीजों और उनके परिजनों द्वारा सड़क किनारे वाहन पार्क करने से यातायात बाधित होता है, जिससे दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।
3. फुटपाथों पर अतिक्रमण
फुटपाथों पर दुकानों और अन्य निर्माणों के कब्जे के कारण पैदल यात्रियों को सड़क पर चलने को मजबूर होना पड़ता है।
स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को इस समस्या का मुख्य कारण बताया गया है।
4. खतरनाक ब्लैक स्पॉट
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की रिपोर्ट में प्रदेश में पांच खतरनाक ब्लैक स्पॉट की पहचान हुई है, जिनमें बिलासपुर का सेंदरी चौक भी शामिल है।
हाई कोर्ट की नाराजगी और निर्देश
राज्य सरकार द्वारा पहले पेश की गई रिपोर्ट को अपर्याप्त मानते हुए हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने और फुटपाथों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
अगली सुनवाई 17 दिसंबर को
पीआईएल की अगली सुनवाई में कोर्ट कमिश्नरों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। हाई कोर्ट का यह कदम ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने और सड़क दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में एक अहम पहल है।
नजरिया
प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर उठाए गए इस कदम से ना सिर्फ दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी, बल्कि स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह बनाने में भी मदद मिलेगी।
