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अपोलो कैंसर सेंटर बिलासपुर एवं अपोलो समूह ने #Oralife—मुंह के कैंसर की प्रारंभिक पहचान के लिए स्क्रीनिंग प्रोग्राम की शुरुआत

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
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· ईशा फाउंडेशन के साथ साझेदारी कर समग्र तंबाकू निवारण कार्यक्रम को बढ़ावा
·00 भारत में हर साल 77,000 नए मामले और 52,000 मौतें, प्रारंभिक जांच बेहद आवश्यक
· #CutTheCost पहल के ज़रिए तंबाकू के स्वास्थ्य, आर्थिक और भावनात्मक प्रभावों को उजागर किया गया

बिलासपुर।
तंबाकू अब केवल व्यक्तिगत आदत नहीं रहा—यह एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल बन चुका है। वैश्विक रूप से ओरल कैंसर (मुंह का कैंसर) के एक-तिहाई मामले भारत में दर्ज होते हैं। आंकड़े चौंकाने वाले हैं: हर साल 77,000 नए मामले और 52,000 मौतें, और केवल 50% जीवित रहने की दर—जो विकसित देशों की तुलना में कहीं कम है। यह संकट शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में तंबाकू सेवन में वृद्धि से और गहरा होता जा रहा है, जिसे हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे (2022–23) ने पुष्टि की है।

वर्ल्ड नो टोबैको डे के अवसर पर, अपोलो कैंसर सेंटर बिलासपुर  ने #Oralife स्क्रीनिंग प्रोग्राम की शुरुआत की है, जो मुंह के कैंसर की प्रारंभिक पहचान, जन जागरूकता और उच्च जोखिम वाले समूहों—जैसे तंबाकू उपयोगकर्ता, शराब सेवन करने वाले, HPV-16 संक्रमण वाले और पूर्व मौखिक घावों वाले लोगों—के लिए लक्षित हस्तक्षेप पर केंद्रित है।

इसके अलावा, अपोलो कैंसर सेंटर ने ईशा फाउंडेशन के साथ मिलकर एक अनूठी पहल शुरू की है जो लोगों को तंबाकू की लत से मुक्त होने में मदद करती है। इसमें “मिरेकल ऑफ माइंड” ऐप शामिल है, जिसे सद्गुरु द्वारा डिज़ाइन किया गया है, और एक सावधानीपूर्वक तैयार किया गया 6-सप्ताह का कार्यक्रम है जो तंबाकू की आवश्यकता को स्वाभाविक रूप से कम करने में मदद करता है।

डॉ. अमित वर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, डॉ अमोल पटगांवकर, कंसलटेंट,सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, अपोलो कैंसर सेंटर, ने कहा,
“तंबाकू उपयोगकर्ताओं में ओरल कैंसर होने की संभावना 6 से 7 गुना अधिक होती है। दुखद बात यह है कि मुंह का कैंसर उन कुछ कैंसर में से है, जिन्हें एक साधारण मौखिक जांच से शुरूआती अवस्था में पहचाना जा सकता है। इस स्क्रीनिंग कार्यक्रम के माध्यम से, हमारा उद्देश्य इसे समय रहते पहचानना है।” बताया कि तंबाकू की लत लगने की जो आयु होती है वह किशोरावस्था होती है जहां किशोरावस्था में पहुंचने वाले बालक जल्दी आसानी से किसी भी विचार से प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे में अगर उनके साथी तंबाकू का सेवन करते हैं तो वह भी उससे प्रभावित हो जाते हैं और इसी समय उन्हें इस तंबाकू की आदत लगती है। अतः यह आवश्यक है कि इस अवस्था में ही हम तंबाकू के सेवन के प्रति,उनके दुष्परिणामों के प्रति लोगों का जागरूक करें,खासकर किशोरावस्था के बच्चों को विशेष रूप से जागरूक करें जिससे उन्हें इस भयानक बीमारी से बचाया जा सके।

एक सर्वेक्षण के अनुसार मुंह का कैंसर भारतीय पुरुषों में सबसे आम है और महिलाओं में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक घटनाएं दर्ज होती हैं, जबकि केरल में सबसे कम। महाराष्ट्र (विशेष रूप से 40–60+ आयु वर्ग), और छत्तीसगढ़ में, लगभग 40000 से 50000 कैंसर के केस साल भर में का इलाज किया जाता है जिसमें 4000- 5000 नए केसेस होते हैं। ओरल कैंसर के मरीजों में जीभ की जड़ और मुंह की नींव में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं—जो अत्यधिक मेटास्टेटिक साइट्स मानी जाती हैं। पूरे भारत में बक्कल म्यूकोसा (गालों की अंदरूनी सतह, होंठ और मुंह) सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है। पुरुषों और महिलाओं में अनुपात 2:1 है, लेकिन महिलाओं में बिना धुएं वाले तंबाकू का उपयोग बढ़ रहा है।

डॉक्टर पी पी मिश्रा, सीनियर कंसल्टेंट, नाक कान गला विभाग ने बताया कि मुख कैंसर की बात करें तो सबसे आसानी से दिखने वाला कैंसर छालों के रूप में दिख सकता है। इन छालों को मरीज इग्नोर करते हैं। इनमें से कुछ कैंसर में परिवर्तित हो जाते हैं। इसलिए आवश्यक है कि ऐसे छालों जो कि दो हफ्ते से अधिक समय से ठीक नहीं हो रहे हैं या गले में आवाज खराश की संबंधित समस्या जो दो हफ्ते से ठीक नहीं हो रही है ऐसे प्रकरणों में तुरंत किसी चिकित्सक की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। इस अवस्था में अगर बीमारी पकड़ में आए तो उसके ठीक होने की होने की संभावना अत्यधिक होती है।

अर्नब एस रहा, संस्था प्रमुख अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर, ने कहा, “हमारा लक्ष्य स्वास्थ्य के प्रति सक्रिय रुख को बढ़ावा देना है। यदि समय पर पता चल जाए, तो ओरल कैंसर का इलाज कहीं अधिक प्रभावी और कम जटिलताओं के साथ किया जा सकता है। यह पहल सभी 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, विशेष रूप से तंबाकू उपयोगकर्ताओं, से स्क्रीनिंग कराने का आह्वान है।” उन्होंने आगे बताया कि “मिरेकल ऑफ माइंड एक मुफ्त ध्यान ऐप है जिसमें सद्गुरु द्वारा 7 मिनट का शक्तिशाली मार्गदर्शित ध्यान है। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को दैनिक ध्यान अभ्यास को अपनाने, प्रेरणा बनाए रखने और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में सहायता करता है।

OraLife स्क्रीनिंग प्रोग्राम बहुत ही कम कीमत में एक ऐसा स्क्रीनिंग प्रोग्राम है जिसमें प्रशिक्षित मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और हेड एंड नेक सर्जनों द्वारा एक व्यापक जांच शामिल है, जो शुरुआती लक्षणों—जैसे कि लंबे समय तक रहने वाले घाव, लाल/सफेद धब्बे, गांठें, या न भरने वाले घाव—की पहचान करता है, जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

चिकित्सा से एक कदम आगे बढ़ते हुए, अपोलो कैंसर सेंटर बिलासपुर एवं अपोलो समूह ने ईशा फाउंडेशन के साथ मिलकर आध्यात्मिक कल्याण को इस नशा मुक्ति अभियान में शामिल किया है। इस पहल में सद्गुरु द्वारा डिज़ाइन की गई 7 मिनट की मेडिटेशन प्रैक्टिस भी शामिल है, जो तंबाकू और शराब छोड़ने की राह में मदद करती है।

डॉक्टर सुश्री परीदा सीनियर कंसल्टेंट मेडिकल ऑंकोलॉजी एवं डॉक्टर सार्थक कंसल्टेंट रेडिएशन ऑंकोलॉजी, अपोलो कैंसर सेंटर  बिलासपुर, ने कहा
“यह पहल अपोलो कैंसर सेंटर की ऑन्कोलॉजी देखभाल में नेतृत्व को दर्शाती है। हमारा उद्देश्य केवल जीवन बचाना नहीं, बल्कि लोगों को अपने मौखिक स्वास्थ्य पर नियंत्रण पाने के लिए ज्ञान और उपकरणों से सशक्त बनाना है। ईशा फाउंडेशन के साथ हमारा सहयोग यह दर्शाता है कि हम उपचार के साथ मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी महत्व देते हैं।”

स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के अलावा—जैसे ओरल और फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग और स्ट्रोक का बढ़ा हुआ खतरा—यह पहल इस बात को भी रेखांकित करती है कि तंबाकू उपयोगकर्ताओं को जीवनकाल में तंबाकू उपयोग नहीं करने वालों की तुलना में ₹1.1 लाख से अधिक अतिरिक्त स्वास्थ्य खर्च उठाना पड़ सकता है।
अशोक शर्मा जो की एक ओरल कैंसर सरवाइवर हैं उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि हम अर्ली डिटेक्शन पर ध्यान दें तो कैंसर से लड़ा जा सकता है और पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं उनका उन्होंने मसूड़े में हुए छालों की समय पर जांच करवाई और इस बीमारी से निजात पाई।

तंबाकू का उपयोग केवल स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि आर्थिक और भावनात्मक नुकसान भी लाता है—जीवन प्रत्याशा घटाता है, बीमा प्रीमियम बढ़ाता है, और परिवारों को असुरक्षित बना देता है, विशेषकर जब प्राथमिक कमाने वाले प्रभावित होते हैं।
अपोलो की #CutTheCost पहल तंबाकू की समस्या को दीर्घकालिक स्वास्थ्य और वित्तीय सुरक्षा के मुद्दे के रूप में प्रस्तुत करती है, और तंबाकू उपयोगकर्ताओं से अपील करती है कि वे अपनी आदतों पर पुनर्विचार करें और समय रहते ओरल कैंसर की जांच करवाएं।

अपोलो कैंसर सेंटर बिलासपुर एवं भारतभर में फैले अपोलो कैंसर सेंटर अपने नेटवर्क के सा”मिरेकल ऑफ माइंड एक मुफ्त ध्यान ऐप है जिसमें सद्गुरु द्वारा 7 मिनट का शक्तिशाली मार्गदर्शित ध्यान है। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को दैनिक ध्यान अभ्यास को अपनाने, प्रेरणा बनाए रखने और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में सहायता करता है। 2 मिलियन से अधिक लोग इसे डाउनलोड कर चुके है l

आज 147 देशों के लोग अपोलो कैंसर सेंटर में इलाज के लिए भारत आते हैं। दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व में पहले पेंसिल बीम प्रोटॉन थेरेपी सेंटर के साथ, अपोलो कैंसर सेंटर कैंसर के खिलाफ लड़ाई को और भी मजबूत करता है।

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