Bilaspur बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में ज्वेलरी दुकानों में हुई चोरियों का पर्दाफाश करते हुए बिलासपुर पुलिस ने अंतर्राज्यीय ठग और चोर गिरोह को पकड़ने में सफलता हासिल की है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें 3 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल हैं। पुलिस ने लगभग 14 लाख रुपये मूल्य के सोने के गहने, 3 किलो चांदी के आभूषण, 94 हजार रुपये नगद, और चोरी के लिए उपयोग की गई मारुति बलेनो कार को बरामद किया। बरामद संपत्ति की कुल कीमत 20 लाख रुपये आंकी गई है।
क्या है मामला
28 अप्रैल 2025 को बिलासपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र स्थित हिम्मत लाल ज्वेलर्स में दो महिलाओं ने नकली सोने को असली बताकर ठगी की। उन्होंने 42.3 ग्राम असली सोना, जिसकी कीमत 4,55,000 रुपये थी, और 13,572 रुपये नकद लेकर फरार हो गईं। दुकान के मालिक की शिकायत पर पुलिस ने अपराध क्रमांक 235/25 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
घटना के तुरंत बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (भा.पु.से.) के मार्गदर्शन में ए.सी.सी.यू. (सायबर सेल) और थाना सिटी कोतवाली की संयुक्त टीम ने जांच शुरू की।
जांच की प्रक्रिया और सफलता
घटना स्थल और आसपास के 200 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। तकनीकी इनपुट के आधार पर संदिग्धों की पहचान की गई।
पुलिस ने संदिग्धों का पीछा करते हुए राजनांदगांव और महाराष्ट्र के भंडारा जिले तक पहुंच बनाई। स्थानीय पुलिस के सहयोग से आरोपियों को घेराबंदी कर गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में आरोपियों ने बिलासपुर, रायपुर के उरला और राजनांदगांव के लक्ष्मी ज्वेलर्स में चोरी की घटनाओं को स्वीकार किया।
गिरफ्तार आरोपी और बरामद संपत्ति
गिरफ्तार आरोपियों की सूची इस प्रकार है:
- प्रदीप सोनी (21 वर्ष) – सुल्तानपुर, इलाहाबाद
- मालती सोनी (52 वर्ष) – नैनी, इलाहाबाद
- पूनम सोनी (36 वर्ष) – इलाहाबाद
- राहुल सोनी उर्फ मनीष (22 वर्ष) – शांति पुरम, इलाहाबाद
- श्याम सोनी (35 वर्ष) – इलाहाबाद
बरामदगी:
- 140 ग्राम सोने के गहने (14 लाख रुपये)
- 3 किलो चांदी के गहने
- 94 हजार रुपये नकद
- मारुति बलेनो कार (6 लाख रुपये)
पुलिस की सराहनीय कार्यवाही
पुलिस महानिरीक्षक श्री संजीव शुक्ला (भा.पु.से.) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (भा.पु.से.) के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई। सायबर सेल और थाना कोतवाली के निरीक्षक अजहरउद्दीन के नेतृत्व में टीम ने अत्यंत प्रभावी तरीके से काम किया।
ये थे पुलिस टीम में शामिल
- निरीक्षक राजेश मिश्रा
- निरीक्षक विवेक पांडे
- सउनि शीतला प्रसाद त्रिपाठी
- आरक्षक राहुल सिंह, आतिश पारिक, अविनाश, निखिल, वीरेंद्र, अभिजीत
- महिला आरक्षक पुष्पा खरे
अन्य चोरियों का खुलासा
आरोपियों से पूछताछ के दौरान यह भी सामने आया कि उन्होंने रायपुर और राजनांदगांव की अन्य ज्वेलरी दुकानों में भी इसी प्रकार की चोरी की।
प्रकरण:
- मां बंजारी ज्वेलर्स, उरला, रायपुर (अपराध क्रमांक 80/2025)
- लक्ष्मी ज्वेलर्स, राजनांदगांव (अपराध क्रमांक 202/2025)
पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है और प्रदेश में हुई अन्य चोरियों की कड़ियां जोड़ रही है।
प्रदेश सराफा एसोसिएशन की प्रतिक्रिया
प्रदेश सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों ने पुलिस की तेज और प्रभावी कार्यवाही की सराहना की है। लगातार हो रही चोरियों के बाद एसोसिएशन ने बिलासपुर पुलिस से मामले को सुलझाने की अपेक्षा रखी थी।
पुरस्कृत जाएंगे पुलिसकर्मी
बिलासपुर पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल चोरी के मामलों का खुलासा किया, बल्कि अंतर्राज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ भी किया। यह सफलता पुलिस टीम के समर्पण और तकनीकी दक्षता का प्रमाण है। अधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी सराहनीय सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया जाएगा।
अंतर्राज्यीय चोर गिरोह: पर्दे के पीछे की कहानी
बिलासपुर पुलिस द्वारा पकड़े गए अंतर्राज्यीय चोर गिरोह की कहानी चौंकाने वाली है। यह गिरोह आधुनिक तकनीकों और पारंपरिक चोरियों के सम्मिश्रण से काम करता था। इलाहाबाद से संचालित यह गिरोह अपनी योजनाओं में बारीकी और सतर्कता बरतता था। गिरोह के सदस्य मुख्य रूप से परिवार के लोग थे, जो अपने आपसी तालमेल और विश्वास से काम को अंजाम देते थे।
गिरोह की कार्यशैली
यह गिरोह पहले किसी ज्वेलरी दुकान की रेकी करता था। महिलाएं ग्राहक बनकर दुकान में जातीं और दुकानदार को नकली सोना असली बताकर ठगने का प्रयास करतीं। पुरुष सदस्य दुकान के बाहर निगरानी रखते थे और अगर किसी प्रकार की अनहोनी होती, तो तुरंत वहां से भागने की योजना तैयार रहती। गिरोह के सदस्य फर्जी पहचान पत्र और नकली दस्तावेजों का भी इस्तेमाल करते थे, जिससे उनकी पहचान मुश्किल हो जाती।
सतर्कता और प्लानिंग
गिरोह की योजनाएं बेहद विस्तृत होती थीं। वे शहर के उन क्षेत्रों को चुनते थे, जहां सीसीटीवी की संख्या कम हो या निगरानी कमजोर हो। पकड़े गए सदस्यों में से कई के पास आपराधिक पृष्ठभूमि थी, जो उनके अनुभव और दक्षता को दर्शाती है।
पुलिस के लिए चुनौती
पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती इनकी पहचान करना था, क्योंकि गिरोह अपने ठिकानों को लगातार बदलता रहता था। तकनीकी इनपुट और सटीक रणनीति के चलते पुलिस ने इनकी गतिविधियों पर नजर रखी और अंततः इन्हें पकड़ने में कामयाबी पाई।