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छत्तीसगढ़: हिंदू ,मुस्लिम परिवार का बच्चा आपस में बदला

Mohammed Israil
Mohammed Israil  - Editor
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दुर्ग जिला अस्पताल में बच्चों की अदला-बदली का स मामला आया सामने

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला अस्पताल से एक चौंकाने वाला और बेहद संवेदनशील मामला सामने आया है, जहां हिंदू और मुस्लिम परिवार के नवजात बच्चों की अदला-बदली हो गई। यह घटना अस्पताल की लापरवाही  से हुई है।

क्या है पूरा मामला

यह मामला 23 जनवरी 2024 का है, जब दुर्ग जिला अस्पताल के मदर-चाइल्ड वार्ड में दो बच्चों का जन्म हुआ। शबाना कुरैशी ने दोपहर 1:25 बजे बेटे को जन्म दिया, और 7 मिनट बाद, 1:32 बजे साधना सिंह ने भी बेटे को जन्म दिया। जन्म के तुरंत बाद, अस्पताल प्रोटोकॉल के तहत, नवजातों के हाथ पर मां के नाम का टैग लगाया गया था और उनकी तस्वीरें भी खींची गईं।

हालांकि, यह पहचान प्रक्रिया पर्याप्त साबित नहीं हुई। बच्चों को नहलाने के बाद, शबाना का बच्चा साधना के पास और साधना का बच्चा शबाना के पास पहुंच गया। अस्पताल ने तीन दिन बाद, इस अदला-बदली की अनजानी गलती के साथ, दोनों माताओं को छुट्टी दे दी।

असली सच्चाई कैसे सामने आई

अस्पताल से डिस्चार्ज होने के चार दिन बाद, जब बच्चों को नहलाया जा रहा था, तो यह मामला सामने आया। शबाना और साधना दोनों ने अपने बच्चों को लेकर अलग-अलग शंकाएं व्यक्त कीं। इस स्थिति ने दोनों परिवारों के बीच तनाव को जन्म दिया। खासकर, साधना सिंह ने अपने बच्चे को लौटाने से इनकार कर दिया, यह दावा करते हुए कि वह उसी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ गई हैं।

अस्पताल की लापरवाही

इस पूरी घटना में जिला अस्पताल की लापरवाही  उजागर हुई है। नवजातों की पहचान के लिए टैगिंग प्रक्रिया और उसकी जांच सही तरीके से नहीं की गई। यह अस्पताल प्रशासन की ओर से बड़ी चूक है।

कलेक्टर के आदेश पर जांच समिति का गठन

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, दुर्ग के कलेक्टर ने जांच समिति गठित की है। यह समिति मामले की तह तक जाने और लापरवाही के लिए जिम्मेदार स्टाफ पर कार्रवाई करने की सिफारिश करेगी। अगर इससे समाधान नहीं निकलता, तो DNA परीक्षण कराकर सच्चाई का पता लगाया जाएगा।

डीएनए टेस्ट से निकल सकता है समाधान

DNA परीक्षण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस मामले को सुलझाने का सबसे विश्वसनीय तरीका है। यह न केवल बच्चों की सही पहचान सुनिश्चित करेगा, बल्कि कानूनी विवाद की संभावना को भी खत्म करेगा। हालांकि, इससे पहले दोनों परिवारों के बीच संवाद और सहमति बनाना जरूरी है, ताकि किसी का दिल न टूटे।

अस्पताल प्रबंधन को चेतावानी

यह घटना अस्पताल प्रबंधन के लिए एक चेतावनी है। नवजात शिशुओं की पहचान की प्रक्रिया में सख्ती और पारदर्शिता सुनिश्चित करना अनिवार्य है। इसके लिए आधुनिक तकनीक, जैसे इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग, को अपनाया जाना चाहिए। इसके अलावा, अस्पताल के स्टाफ को प्रशिक्षित करना और ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए सख्त निगरानी प्रणाली लागू करना आवश्यक है।

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